राज्य » अन्य राज्यPosted at: Aug 19 2019 8:02PM उच्च न्यायालय ने बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति से मांगा जवाबनैनीताल 19 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड की ऐतिहासिक चारधाम तीर्थयात्रा में सुविधाओं के विस्तार के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी एवं जिला पंचायत उत्तरकाशी को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं। मामले में तीन सप्ताह बाद सुनवाई होगी।इससे पहले सोमवार को सरकार की ओर से विभिन्न बिन्दुओं पर अदालत में जवाब पेश किया गया। सरकार की ओर से कहा गया कि पर्वतीय क्षेत्र होने के चलते चारधाम यात्रा मार्गों एवं पैदल रास्तों का चौड़ीकरण संभव नहीं है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण ही पैदल रास्ते एवं मार्ग फिसलन भरे होते हैं। मुम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.आर. श्रीराम के पत्र पर उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका दायर की है। दरअसल न्यायमूर्ति श्रीराम तीन महीने पहले मई में अपने परिवार के साथ चारधाम की यात्रा पर आये थे। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि यात्रा मार्ग में तमाम दिक्कतें हैं। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को एक पत्र लिखकर चारधाम यात्रा में यात्रियों को होने वाली असुविधाओं से अवगत कराया। न्यायालय ने इसी पत्र का संज्ञान लेते हुए इस मामले में जनहित याचिका दायर कर ली। अपने पत्र में न्यायमूर्ति श्रीराम ने लिखा कि यमुनोत्री में रास्ते खराब एवं संकरें हैं। रास्ते फिसलन भरे हैं। यात्रा मार्गों में सुरक्षाकर्मियां एवं पुलिस की भारी कमी है। न तो मार्गों में बिजली उपलब्ध है और न ही मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध होता है। लंबी यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिये आराम के लिये उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।केदारनाथ हवाई यात्रा के दौरान भी यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान यात्रियों के बैठने के लिये उपयुक्त सुविधा नहीं है। बुजुर्ग यात्रियों को धूप में घंटों इंतजार करना पड़ता है। सरकार को इन सुविधाओं में तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। मामले को गंभीरता से लेते हुए अदालति ने इससे पहले राज्य सरकार एवं बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति से जवाब मांगा था। साथ ही उत्तरकाशी की जिला पंचायत को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। आज बदरी-केदार मंदिर समिति की ओर से जवाब पेश करने के लिये और समय की मांग की गयी। अदालत ने मंदिर समिति एवं जिला पंचायत को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। रवीन्द्र, उप्रेतीवार्ता