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अध्यादेश मामले में सरकार ने कोश्यारी समेत चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों को दिये नोटिस

नैनीताल, 17 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधायें देने के मामले में पारित अध्यादेश की वैधानिकता को लेकर गुरुवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई नहीं हो पायी। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी।
सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि सभी पक्षकारों को नोटिस उपलब्ध करा दिये गये हैं। इसके बाद अदालत ने सरकार को इस मामले में शपथपत्र पेश करने को कहा है।
इस मामले में खास पहलू यह है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को भी पक्षकार बनाया गया है। अदालत के आदेश पर उन्हें भी नोटिस जारी करने के निर्देश दिये गये हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में इस प्रकरण पर गत मंगलवार को सुनवाई होनी थी लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार की ओर से सभी पक्षकारों को नोटिस उपलब्ध नहीं कराया गया है।
इसके बाद अदालत ने सभी को नोटिस उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। इस मामले में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी समेत अन्य तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूरी और विजय बहुगुणा को पक्षकार बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी का निधन होने से उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया है।
सरकार की ओर से आज अदालत को बताया गया कि सभी को नोटिस उपलब्ध करा दिया गया है। इसके बाद अदालत ने सरकार को इस मामले में शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिये हैं। देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से अध्यादेश को चुनौती दी गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि अध्यादेश असंवैधानिक है और उच्च न्यायालय के 03 मई 2019 को दिये गये आदेश को पलटने (ओवर रूल) के उद्देश्य से सरकार अध्यादेश लायी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार को इस प्रकार की कोई विधायी शक्ति प्राप्त नहीं है। जिससे अदालत के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने विगत 05 सितम्बर को राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधायें) अध्यादेश, 2019 को मंजूरी दी थी। न्यायालय के आदेश के बाद इस अध्यादेश को पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने के रूप में देखा जा रहा था। जिन्हें उच्च न्यायालय ने छह माह के अंदर 2.8 करोड़ रुपये की धनराशि सरकारी आवास एवं अन्य मदों के बदले में जमा करने के निर्देश दिये थे।
रलेक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इस वर्ष 03 मई 2019 को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सभी पांच मुख्यमंत्रियों को बाजार दर पर आवास किराया समेत अन्य चीजों का भुगतान करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने यह भी कहा था कि यदि प्रतिवादी अदालत के निर्देश का पालन नहीं करते हैं तो सरकार उनसे वसूली की कार्यवाही कर सकती है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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