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कर्नाटक सरकार के विज्ञापन से नेहरू का नाम हटाने को लेकर भाजपा-कांग्रेस में विवाद

बेंगलुरु 14 अगस्त (वार्ता) कर्नाटक सरकार के विज्ञापन से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम हटाने को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच विवाद खड़ा हो गया है।
कर्नाटक कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने श्री नेहरू के प्रशंसक अपने पिता एसआर बोम्मई और उनके पहले राजनीतिक गुरु एमएन रॉय का अपमान किया है।
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि सरकार ने महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई और अन्य नेताओं के साथ नेहरू की तस्वीर को स्केच में शामिल किया है प्रमुख विपक्षी दल बेकार की बातें उड़ा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, “नेहरू इस तरह की संकीर्णता से बचे रहेंगे। अपनी कुर्सी बचाने को बेताब कर्नाटक के मुख्यमंत्री को पता है कि उन्होंने जो किया है वह उनके पिता एस.आर. बोम्मई और उनके पिता के पहले राजनीतिक गुरु एम.एन. का अपमान है। दोनों महान नेहरू प्रशंसक और बाद में एक दोस्त भी थे। यह दयनीय है।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ट्वीट कर कहा, “श्री बोम्मई को इस ‘अपमान’ के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरएसएस को नेहरू से एलर्जी है क्योंकि उनकी सरकार ने गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने कहा, “याद रखें कि नेहरू ने अपने जीवन के नौ साल जेल में बिताए थे। वह सावरकर की तरह कायर नहीं थे।”
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेता मोहन कृष्ण ने कहा, “उनकी (नेहरू) तस्वीर पहले से ही स्केच में महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई और अन्य नेताओं के साथ है। विपक्ष लोगों को कुछ दिखाकर इसे उड़ाने का प्रयास कर रहे है। यह सच नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि सरकारी विज्ञापन में वीर सावरकर की तस्वीर शामिल है। उन्हें क्रांतिकारी सावरकर बताते हुए विज्ञापन में शीर्षक लिखा है, “विनायक दामोदर सावरकर ने कई किताबें प्रकाशित कीं, जिनमें क्रांतिकारी तरीकों से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने की वकालत की गई थी। उन्हें अंडमान निकोबार में कैद किया गया था और अत्यधिक यातनाएं दी गई थीं।”
विज्ञापन में लिखा है, “भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास लाखों भारतीयों के बलिदानों से भरा पड़ा है। आज जब हम भारत की आजादी की 76वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, हमें उन्हें याद करना चाहिए और उन्हें श्रद्धांजलि देनी चाहिए और उनकी निस्वार्थ देशभक्ति का अनुकरण करने का संकल्प लेना चाहिए।”
यह विज्ञापन हर घर तिरंगा अभियान के तहत प्रकाशित किया गया था।
इस मुद्दे पर दो अगस्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं से स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को चिह्नित करने के लिए अपने प्रदर्शन चित्रों को तिरंगे में बदलने का आग्रह करने के बाद इसको लेकर ऑनलाइन विवाद शुरु हुआ।
इसके बाद कुछ कांग्रेसियों ने प्रतिक्रिया स्वरूप सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अपनी डिस्प्ले तस्वीरों को जवाहरलाल नेहरू की राष्ट्रीय ध्वज पकड़े हुए तस्वीर में बदल दिया।उसके बाद से यह विवाद जारी है।
राम, सोनिया
वार्ता
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