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धान से कच्चा माल बनाने को पर्यावरण के अनुकूल तकनीक होगा विकसित

धान से कच्चा माल बनाने को पर्यावरण के अनुकूल तकनीक होगा विकसित

चेन्नई 29 मार्च (वार्ता) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-एम) के शोधकर्ताओं ने औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए कच्चे माल के निर्माण के लिए धान के कचरे को अपसाइकिल करने के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल तकनीक विकसित करने की योजना बनाई है।

यह तकनीक किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करेगी क्योंकि धान के कचरे का उपयोग उन ऊर्जा उपकरणों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यह तकनीक उत्तर भारत में पराली जलाने और अन्य कृषि अपशिष्टों को जलाने को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

आईआईटी-एम की बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि धान के कचरे से उत्पादित सक्रिय कार्बन से बने सुपरकैपेसिटर से इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को कई लाभ मिलते हैं और सुपरकैपेसिटर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता विकसित करने में मदद मिल सकती है एवं सुपरकैपेसिटर आधारित ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी के संबंध में आत्मनिर्भरता देश के भीतर रोजगार को बढ़ाएगी।

वर्तमान में, देश में प्रति वर्ष धान के कचरे की विशाल मात्रा 760 लाख टन उत्पन्न होती है और किसान पुआल को मिट्टी में डालने के लिए सबसे कम लागत वाला और विकल्प मानते हैं।

आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने पहले ही जैव-अपशिष्ट को बायोमास में सक्रिय कार्बन में परिवर्तित करने का प्रदर्शन किया है और इसका उपयोग सुपरकैपेसिटर इलेक्ट्रोड सामग्री बनाने के लिए किया है।

इस परियोजना का नेतृत्व डॉ. टीजू थॉमस, एसोसिएट प्रोफेसर, धातुकर्म और सामग्री विभाग कर रहे हैं, और संस्थान परियोजना को बढ़ाने और देश को बड़े पैमाने पर लाभान्वित करने के लिए सीएसआर भागीदारों की तलाश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जिस समाधान की हम पहचान कर रहे हैं वह एक सुपरिभाषित प्रक्रिया है। यह देश के धान के कचरे को बाजार मानक एवं वाणिज्यिक मानक कार्बन सामग्री में परिवर्तित करने और सुपरकैपेसिटर बनाने के लिए सक्रिय कार्बन के उपयोग की अनुमति देगा।

जांगिड़.संजय

वार्ता

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