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पुस्तक बदलाव का माध्यम-डॉ. बीकेएस

उत्तराखंड पुस्तक दिवस
देहरादून, 21, अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड के देहरादून में रविवार को विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन देश के अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों की उपस्थिति में हुआ। इसमें पद्मश्री डा बीकेएस संजय ने कहा कि समाज में बदलाव का माध्यम वर्तमान में भी पुस्तकें ही हैं।
उन्होंने कहा, ''पुस्तकें ऐसी दोस्त हैं कि जब भी आप उनका साथ चाहते हो, वह आपके साथ हो जाती हैं और अपने पूरे कर्त्तव्य और जिम्मेदारी निभाती हैं। उनके लिए समय और परिस्थितियों की बाध्यता नहीं होती, जैसे व्यक्तियों के साथ होती है।
संगोष्ठी का आज राजपुर मार्ग स्थित संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर में आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेंश पोखरियाल ‘निशंक‘, औरोवैली आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी ब्रह्मदेव, पर्यावरणविद् पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, झांसी विश्वविद्यालय के प्रो. पुनीत बिसारिया और पद्मश्री डा बीकेएस संजय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया।
पद्मश्री डॉ. संजय ने कहा कि लेखक लिखने के बाद मर जाते हैं, पर उनकी लिखी पुस्तकें अमर रहती हैं। उदाहरण हेतु, हमारे ग्रंथ रामायण, महाभारत, कुरान, बाइबल, गुरु ग्रंथ साहब, आगाम और पिटिक इत्यादि। उन्होंने कहा कि जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं तो ऐसा लगता है, मेरा लेखक से सीधा साक्षात्कार हो रहा है। यही भावना उसमें लेखकों की लेखन के साथ अमर बनाती हैं। डॉ. संजय ने सभी से अनुरोध किया कि हम सभी को बचपन से ही पढ़ने की आदत डालनी चाहिए और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
स्वामी ब्रह्मदेव ने कहा कि चाहे हम किताबें कितना भी पढ़ लें, लेकिन अपनी जिंदगी को पढ़ना सबसे बडा काम है। अपने आप को समझें, जानें और खुद को पहचानें। पुस्तकों से ही जीवन का विकास होता है इसलिए पढ़ते रहें।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि पुस्तकों का महत्व असीमित है। आज हम जो भी हैं, जहा भी हैं, यह सब पुस्तकों की ही देन है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा बोलते हैं और हम जैसा बोलते हैं, वैसा करते हैं इसलिए अच्छा सोचें, अच्छा करें और अच्छे बनें। डॉ. योगेंद्र नाथ अरुण ने कहा कि पुस्तकें आपकी सबसे अच्छी दोस्त हैं, बशर्तें तुम्हें चुनना आता हो। आज संस्कारों एवं संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है और पुस्तकें ही इस कार्य को करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।
संगोष्ठी में डा सुधा रानी पांडे ने कहा कि हम सभी पुस्तकें पढ़ कर ही आगे बढ़े हैं। पुस्तकें हमारी मानसिक, वैचारिक, बौद्धिक एवं सैद्धांतिक विचारों की अवधारणा को प्रभावित करते हैं। प्रो. प्रियदर्शन पात्रा ने कहा कि हमें स्वयं पढ़ना चाहिए और दूसरों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। रूबा बिजनौरी ने शायरी एवं गजल गायन से सबका मनोरंजन किया।
डॉ. एस. एन. सिंह ने कहा कि हमें अनावश्यक खर्चों के बजाय पुस्तकें खरीदनी चाहिए जो हमारे जीवन को बनाए और संवारे। हास्य कवि राकेश एवं अरुण भट्ट ने कविता का पाठ किया। रजनीश त्रिवेदी ने कहा कि किताबें अंधकार में उजाला होती हैं और हमारे जीवन का उद्धार करती हैं।
कार्यक्रम संचालन योगेश अग्रवाल ने किया। ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों, वक्ताओं, छात्र-छात्राओं, संस्था के सभी कर्मचारियों, एवं सभी महानुभावों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम के दौरान प्रो. पी.के. गर्ग, डॉ. सुनील सोनकर, जे.एस. हलधर, भागीरथ शर्मा, बैचेन कंडियाल, असीम शुक्ला, डॉ. सुजाता संजय, डॉ. गौरव संजय, डॉ. प्रतीक, श्री आर.पी. गौतम, शिव मोहन, सपना पांडे, हरिओम सिंह आदि मौजूद रहे।
सुमिताभ, जांगिड़
वार्ता
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