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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे कृषि स्थलों का किया निरीक्षण

कोच्चि, 23 अप्रैल (वार्ता) प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा भारत-पाकिस्तान सीमा के समुद्री जल के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीएमएफआरआई) द्वारा गुजरात में कच्छ जिले के कोरी और पडाला में विकसित नवीन और रणनीतिक समुद्री शैवाल खेती स्थलों का निरीक्षण किया है और विकासात्मक गतिविधियों की सराहना की है।
श्री मिश्रा ने इन स्थलों का दौरा करने के दौरान क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों की समीक्षा की। सीएमएफआरआई की ओर से मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यहां बताया गया कि उनका ये दौरा किसानों की भलाई के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के व्यापक संदर्भ में भारत के समुद्री कृषि इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है, जिससे भारत के समुद्री शैवाल मिशन में तेजी आएगी।
इस दौरान आईसीएआर-सीएमएफआरआई द्वारा विकसित क्षेत्र-विशिष्ट अनुकूलित स्वदेशी उच्च घनत्व पॉलीथीन (एचडीपीई) समुद्री शैवाल बेड़ा विकास, खेती प्रौद्योगिकी, उत्पादन प्रदर्शन और टिकाऊ कृषि प्रथाओं जैसी विकासात्मक गतिविधियों के बारे में प्रमुख सचिव को जानकारी दी गई।
वहीं, प्रमुख सचिव ने उत्पादन के अर्थशास्त्र और इस परियोजना के सामाजिक-आर्थिक निहितार्थों के बारे में चर्चा में गहरी रुचि व्यक्त की।
इस अवसर पर परियोजना ने कस्टम-निर्मित एचडीपीई राफ्ट पेश किए हैं, जो लचीली समुद्री शैवाल प्रजाति कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी की खेती के लिए समर्पित हैं। प्रत्येक बेड़े ( जिसकी कीमत 16,000 रुपये है) का जीवनकाल 20 वर्षों का है। विज्ञप्ति के अनुसार यह इसमें शामिल उद्यमशील समुद्री शैवाल किसानों को भरपूर फसल का वादा करता है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि लचीलेपन, गतिशीलता और संचालन में आसानी जैसी प्रौद्योगिकी विशेषताओं के आधार पर ग्रिड प्रौद्योगिकी तमिलनाडु जैसे राज्यों में नियोजित पारंपरिक तरीकों को पार करते हुए दक्षता के एक नए युग की शुरुआत करती है।
इसकी क्षमता प्रति बेड़ा 0.3 से 0.5 टन तक का वजन झेलने की है और 300 से 400 टन तक वजन उठाने की क्षमता है।
यह समुद्री शैवाल क्षेत्र को फिर से परिभाषित करने और नवीन ग्रिड प्रौद्योगिकी की क्षमता का दोहन करने के लिए तैयार है। प्रति बेड़ा किलोग्राम इसे समुद्री शैवाल समुद्री कृषि परिदृश्य में एक सच्चे गेम-चेंजर के रूप में अलग करता है।
श्री मिश्रा के दौरे के दौरान प्रदर्शित नवोन्मेषी आईसीएआर-सीएमएफआरआई ग्रिड तकनीक प्रधानमंत्री द्वारा अपनाई गई 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना का प्रतीक है। स्वदेशी विशेषज्ञता और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके समुद्री शैवाल किसान बाधाओं को तोड़ने और समुद्री शैवाल समुद्री कृषि के माध्यम से समृद्धि के नए क्षितिज तय करने के लिए तैयार हैं।
प्रधान सचिव की यात्रा से समुद्री कृषि में आईसीएआर-सीएमएफआरआई की पहल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे आने वाले समय में प्रौद्योगिकी नवाचारों और किसान कल्याण में नई प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। इस दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक, गुजरात के पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव, गुजरात के मुख्य वन संरक्षक, भुज के जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस महानिरीक्षक, और गुजरात के मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
संतोष,आशा
वार्ता
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