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पार्लियामेंट


संकटापन्न भाषाओं के ‘संरक्षण’ की व्यापक योजना

नयी दिल्ली,05 दिसंबर(वार्ता) सरकार ने विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही बोलियों और भाषाओं को संस्कृति के अहम हिस्से के रूप में बचाने के लिए एक व्यापक योजना शुरू की है।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ महेन्द्र नाथ पांडेय ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्हाेंने बताया कि देश में लुप्तप्राय ऐसी भाषाओं की कुल संख्या 197 है। ये भाषाएं एक समुदाय विशेष या कुछ व्यक्तियों के बीच प्रचलित रहीं लेकिन उनके खत्म होने के साथ ही इनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है,ऐसे में सरकार ने इनके संरक्षण के लिए (एसपीपीईएल) नामक एक विशेष योजना शुरू की है।
श्री पांडेय के अनुसार ऐसी भाषाओं के संरक्षण की अहम जिम्मेदारी मैसूर स्थित संस्थान(सीआईआईएल)को सौंपी गयी है। संस्थान देश में 10 हजार से कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली सभी बोलियों और भाषाओं के संरक्षण,परिरक्षण और अभिलेखन का कार्य कर रहा है। सरकार ने इसके साथ ही सभी भाषाओं के साथ ही 10 हजार से अधिक लोगों द्वारा साइबर स्पेस में बोली जाने वाली भाषाओं के लिए सीआईआईएल के जरिए भारतवाणी नामक एक परियोजना भी शुरू की है। इस परियोजना के तहत ऑनलाइन पोर्टल के जरिए सभी भारतीय भाषाओं के बारे में व्यापक जानकारी उपलब्ध कराई गयी है।
मधूलिका.श्रवण
वार्ता
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