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पार्लियामेंट


सुपरफास्ट रेलमार्गाें पर गाड़ियों में एलएचबी कोच लगाने की सिफारिश

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (वार्ता) संसद की एक समिति ने 20 नवंबर को उत्तर प्रदेश के पुखरायां के पास इंदौर पटना एक्सप्रेस की दुर्घटना पर करीब डेढ़ सौ यात्रियों के मारे जाने और 180 अन्य के घायल होने पर चिंता व्यक्त करते हुए रेल मंत्रालय से कहा है कि वह सुपरफास्ट मार्गाें पर पटरियों को और उन पर चलने वाली गाड़ियों के कोचों हर हाल में जल्द
से जल्द एलएचबी कोच से बदलें।
रेलवे संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष सुदीप बंद्योपाध्याय ने रेलवे में सुरक्षा एवं संरक्षा पर आज 12वां प्रतिवेदन लोकसभा में पेश किया । इस समिति ने गाड़ियों के पटरी से उतरने और रेल दुर्घटनाअों में रेलवे कोचों की बनावट के कारण यात्रियों के बड़ी संख्या में हताहत होने की घटनाओं को बेहद गंभीरता से लिया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2003-04 से 2015-16 के दौरान 239 रेल दुर्घटनायें हुईं जिनमें 208 दुर्घटनायें गाड़ी के पटरी से उतरने के कारण हुईं हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान भी कोई सुधार नहीं हुआ है। इस दौरान इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की विध्वंसपूर्ण घटना घट चुकी है जिसमें 149 लोग मारे गये और 180 लोग घायल हुए।
समिति ने कहा कि बताया गया है कि दुर्घटना का प्रमुख कारण पटरी और रोलिंग स्टॉक में त्रुटि है। पटरियां रेल परिवहन प्रणाली का मेरुदंड हैं और इसलिये इसे सुरक्षित एवं उपयुक्त स्थिति में बनाये रखना आवश्यक है। रिपोर्ट में कहा गया कि हालिया मामले में पटरियों के सुरक्षा मानकों को बनाये रखने में रेलवे की विफलता प्रतीत होती है। रिपोर्ट के अनुसार आदर्श स्थिति में 114907 किलोमीटर पटरियों में से प्रतिवर्ष 4500 किलोमीटर का नवीकरण होना चाहिये लेकिन वर्तमान में केवल 2700 किलोमीटर पटरियों के नवीकरण का लक्ष्य रखा गया है जो जरूरत के अनुरूप नहीं है।
समिति ने पटरियों को बदलने का काम आवश्यकता के अनुसार करने के लिये उसके वास्तविक एवं वित्तीय लक्ष्य को बढ़ाने की सिफारिश की है। समिति ने पटरी संरचना के उन्नयन, 60 किलोग्राम वाली पटरी बिछाने, प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट (पीएससी) स्लीपर वाली संरचना का मानकीकरण करने, वेल्डेड रेल बिछाने, रेलों एवं वेल्डों का नियमित अल्ट्रासोनिक परीक्षण करने, पटरी की ज्यामितीय निगरानी आदि पर ध्यान दिये जाने पर बल दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को विश्वास है कि रेलवे अल्ट्रासोनिक उपकरणों द्वारा पटरी में कमी का पता लगाने के माध्यम से पटरी और रोलिंग स्टॉक में कमी को घटाने, विशेष रूप से उच्च गति एवं सुपरफास्ट रेलमार्गों पर पारंपरिक आईसीएफ कोचों को एलएचबी कोचों में परिवर्तित करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। आशा है कि इससे वांछित परिणाम मिलेंगे और पटरी से उतरने वाली घटनाओं में कमी आयेगी।
समिति ने पारंपरिक आईसीएफ कोचों में स्क्रू कपलिंग की जगह टाइट लॉक सेंटर बफर कपलर्स को फिट किये जाने का भी उल्लेख किया है और कहा है कि ऐसे डिजायन भिड़ंत के दौरान काफी मात्रा में ऊर्जा अवशोषित कर पाते हैं और वे एक दूसरे पर चढ़ने से भी बच जाते हैं जिससे दुर्घटना में हताहतों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि समिति महसूस करती है कि यदि रेलवे ने पूर्ण रूप से एलएचबी कोचों का प्रयोग किया होता तो 20 नवंबर को इंदौर पटना एक्सप्रेस की दुर्घटना में पारंपरिक कोचों की भांति वे एक दूसरे पर नहीं चढ़ते जिससे हताहतों की संख्या काफी कम है। समिति सिफारिश करती है कि रेलवे समयबद्ध ढंग से एलएचबी कोचों से प्रतिस्थापित करे और पारंपरिक आईसीएफ कोचों में टाइट लॉक सेंटर बफर कपलर्स को फिट करे। हर हाल में अब से सुपरफास्ट रेल मार्गाें पर विद्यमान एलएचबी कोच उपलब्ध कराये।
समिति ने रेल कर्मियों की चूक से होने वाली दुर्घटनाअों को रोकने के लिये लोको पायलटों के काम के घंटों और उनके आराम के बारे में भी पुरानी सिफारिशों पर सही ढंग से अमल नहीं होने पर आश्चर्य जताया।
सचिन.श्रवण
वार्ता
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