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किसान सम्मान के नाम पर हुआ किसानों का अपमान : डाॅ तंवर

शिमला, 01 फरवरी (वार्ता) हिमाचल किसान सभा ने केंद्र के आज पेश अंतरिम बजट पर कहा कि बजट में किसान सम्मान के नाम पर अपमान किया गया है।
सभा के राज्याध्यक्ष डॉ़ कुलदीप सिंह तंवर ने यहां जारी बयान में इसे ‘किसानों के साथ किया गया मजाक‘ करार दिया और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 के चुनाव से पहले किसानों से किए गए वायदों को दरकिनार करके अपने आखिरी बजट में भी उनसे धोखा किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले आम चुनाव से पहले देश भर में घूम-घूम कर किसानों से वायदा किया था कि उनकी सरकार बनते ही प्रो. स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए किसानों के उत्पाद के लागत मूल्य का डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने किसानों से कर्ज़ माफी का वायदा करते हुए कहा था कि सरकार बनते ही पहला काम किसानों की कर्ज़ माफी का होगा जिसकी निगरानी वे खुद करेंगे और न होने पर वे व्यक्तिगत तौर पर ज़िम्मेदार होंगे लेकिन न तो स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हुई और न ही किसानों की कर्ज़ माफी।
डाॅ. तँवर ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को प्रतिदिन 16.43 रुपये देने की घोषणा किसानों का सम्मान नहीं बल्कि उनका अपमान किया है जबकि विधायकों और सांसदों का हर दिन का वेतन 7000-10000 है जो साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि 188 संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों को 5000 रुपये महीना पेंशन की मांग की थी। डाॅ. तँवर ने कहा कि 2022 में किसानों की आय दुगनी करने का राग अलापने वाली भाजपा सरकार ने जो किया है वह बहुत खेदजनक है। उन्होंने कहा कि किसान सभा किसानों से किए गए छल का विरोध करती है।
सं महेश विजय
वार्ता
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