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सिरसा की जवानी की नस-नस में नशा, ज्यों-ज्योंं दवा की मर्ज बढ़ता ही गया

सिरसा 22 मई (वार्ता) खेत-खलियान में अव्वल व अच्छी आर्थिक स्थिति वाला हरियाणा प्रदेश के एक छोर पर बसा जिला सिरसा सफेदपोशों व नौकरशाहों के कथित सरंक्षण की बदौलत नशा तस्करी का हब बनकर रह गया है।
भौगोलिक लिहाज से त्रिवेणी यानि कि हरियाणा,पंजाब व राजस्थान की सरहद पर बसा होने से यहां के तस्कर राजस्थान के श्री गंगानगर,हनुमानगढ़,बीकानेर व पंजाब के बठिंडा,मुक्तसर,मानसा,फि रोजपुर,लुधियाना जिलों व केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ तक हेरोइन सहित अन्य नशे की सप्लाई देते हैं। करीब तीन दशक पहले प्रारभिंक दौर में तो यहां राजस्थान से लाकर डोडा पोस्त व अफीम की तस्करी होती थी। राजस्थान में वर्र्र्ष 2014 में डोडा पोस्त व अफीम के ठेके बंद होने के बाद नशे की पूर्ति के लिए मादक पदार्थ तस्करों के तार नाईजिरीया से जुड़ गए जहां से वाया दिल्ली हेरोइन,चिट्टा व सिंथेटिक ड्रग की सिरसा सप्लाई हो रही है। प्रदेशभर में सबसे ज्यादा एनडीपीएस के मुकदमें सिरसा के थानों में ही दर्ज हैं,यह बात दिगर है कि सलाखों के पीछे बड़ी मछलियों की बजाय नशेड़ी व कारिदें ज्यादा हैं।
सूत्रों के अनुसार सिरसा में एक ग्राम हेरोइन की कीमत पांच से आठ हजार रुपए है। एक नशेड़ी एक बार में दो हजार रुपए की डोज लेता है। नशा मंहगा होने के कारण यहीं से क्राइम कनैक्शन शुरू हो जाता है। चोरी,डकैती ,लूट,चैन स्नैचिंग,अपने भाई,बहन व अन्य सदस्यों से मारपीट व हत्या। नशेड़ी अपनी पूर्ति के लिए इसका कारोबार भी करते हैं। जिले के युवक व युवतियों की चिंताजनक संख्या नशे के उपयोग व तस्करी मेंं संलिप्त है।
बीते वर्ष में सैंकड़ाभर युवा नशा की जकडऩ में आकर असामयिक मौत को गले लगा चुके हैं। ऐसे उन्नीस युवकों की मौत का रिकार्ड विभिन्न थानों में दर्ज है जबकि सामाजिक लज्जा के मारे अनेक परिवार अपने खो चुके लालों का बगैर पोस्टमार्टम के ही संस्कार कर चुके हैं। कई परिवारों के सामाजिक संतुलन बिगड़ गए हैं। गत वर्ष 29 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी गांव ओढ़ां में एक सभा के मंच से माना था की नशे से 24 युवकों की मौत हो चुकी है।
असामयिक मौत के बढ़ते आंकड़ों के बाद परिजनों के बढ़े दखल के बाद हजारों युवक-युवतियां नशा छोडऩा चाहते हैं मगर पर्याप्त मंच नहीं है। सिरसा के नागरिक अस्पताल में स्थापित किए गए नशा मुक्ति केंद्र में हर माह हजारों युवक-युवतियां नशा छोडऩे आ रहे हैं जिनमें करीब 20 फीसदी युवतियां व महिलाएं हैं। नशा मुक्ति केंद्र प्रभारी चिकित्सक पंकज शर्मा के अनुसार उनके पास मात्र दस बैड हैं जो नाकाफी हैं। पिछले चार माह में दस हजार 815 युवक-युवतियां उनके पास नशा छोडऩे आएं हैं। 166 लोगों को इंडोर उपचार दिया जा रहा है। दूूसरा नशा मुक्ति केंद्र कालंावाली मंडी में है ,जहां 15 बैड हैं,वहां भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। हरियाणा सरकार अब इनकी संंख्या बढ़ाने की बात कह रही है। पड़ोसी प्रांत राजस्थान के साथ लगती भादरा,नोहर व संगरिया तहसील के सीमावर्ती गावों में निजी नशा मुक्ति केंद्र चल रहें हैं जिनकी संख्या अभी अलग है। जिलाभर में दीवारों व बिजली के खंभों पर शिक्षा व अन्य कारोबार के प्रचार की बजाय नशामुक्ति केंद्रों के संपर्क नंबर ज्यादा नजर आ रहें हैं। नशा तस्करी का मामला कई बार विधानसभा में भी गूंज चुका है।
नशा के खिलाफ पिछले कई बरसों से राज्य सरकार मैराथन दौड़,गोष्ठियों व अन्य प्रचार पर करोड़ों रूपया व्यय कर चुकी है मगर नशा की स्थिति ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया जैसी है। शहर व गावों में सुनसान क्षेत्र स्टेडियम,जलघर,धर्मशाला व बस अड्डा के भवनों में नशेड़ी चिट्टा को सिरेंज से अपने हाथ व पांव की नशों में लगाते हैं,कई बार ओवरडोज से तुरंत ही मौत हो जाती है। बीते वर्ष में सैंकड़ाभर युवा नशे के कारण मौत को गले लगा चुके हैं। नशेड़ी एक ही सिरेंज को क्रमवार प्रयोग में ला रहे हैं। मौत के आंकड़े चिंताजनक हो जाने के बाद अब राज्य सरकार ने कुछ संजीदगी दर्शायी है।
जब इस संदर्भ में सिरसा के पुलिस अधीक्षक उदय सिंह मीणा से पूछा गया तो बताया कि राज्य सरकार मादक तस्करी के नेटवर्क को तोडऩे के लिए सख्त है। नशे की ओवरडोज से मरने वाले उन्नीस युवकों के परिजनों की शिकायत विभिन्न थानों में दर्ज है। काफी लोग सामाजिक लज्जा के मारे मुकदमें भी दर्ज नहीं करवाते। मादक तस्करों द्वारा नशा तस्करी से अर्जित संपति की जांच की जा रही है,कई मादक तस्करों के मकान ध्वंस्त किए जा चुके हैं। दिन व रात के समय विशेष सिलिंग अभियान चलाकर राजस्थान व पंजाब के संपर्क मार्गों व नहरों पर विशेष नाकाबंदी की जा रही है। गांव-गांव जागरूकता शिविर लगाकर नशे के प्रति युवाओं को सचेत किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने डबवाली को पुलिस जिला बनाने का ऐलान किया है वहीं सिरसा जिला मुख्यालय पर इस माह मादक पदार्थ तस्करी के केसों की सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रेक कोर्ट स्थापित की गई है,विभिन्न न्यायालयों से तस्करी के सभी केसों को इस न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है,जिनकी संख्या करीब चार हजार है। विशेष एनडीपीएएस फास्ट ट्रेक कोर्ट ने अपने पहले फैसले में सजा का कठोर फैसला भी सुना दिया है। उन्होंने सामाजिक,धार्मिक,युवा संगठनों व पंचायत प्रतिनिधियों से आह्वान किया है कि वे इस नेटवर्क को तोडऩे में पुलिस का सहयोग करें।
सं.संजय
वार्ता
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