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परित्यक्त शिशुओं का बचाने के लिये ‘पंगुड़ा’ का उपयोग करें: सारंगल

जालंधर, 29 फरवरी (वार्ता) पंजाब में जालंधर के जिला उपायुक्त विशेष सारंगल ने गुरुवार को बेसहारा माता-पिता से लावारिस शिशुओं के अनमोल जीवन को बचाने के लिये पंगुड़ा (पालना) योजना का उपयोग करने का आह्वान किया।
श्री सारंगल यहां जिला प्रशासनिक परिसर में जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति (डीसीपीसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। पंगुड़ा (पालना) योजना को परित्यक्त शिशुओं, विशेष रूप से बच्चियों के लिये एक सुरक्षित आश्रय बताते हुये उपायुक्त ने कहा
कि यह अनूठी योजना अवैध लिंग चयन और नवजात शिशुओं को कूड़ेदानों में फेंकने पर रोक लगाने के उद्देश्य से शुरू की गयी थी।
उपायुक्त ने कहा कि यह योजना वर्तमान में नारी निकेतन और भाई घनैया जी चैरिटेबल
ट्रस्ट (यूनिक होम) सहित दो स्थानों पर चल रही है। श्री सारंगल ने कहा कि इन स्थानों के बाहर अज्ञात रूप से अनचाहे बच्चों को पालने में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों के माता-पिता या तो उन्हें नहीं चाहते या वे इतने गरीब हैं कि बच्चों का पालन-पोषण नहीं कर सकते, इसलिये वे उन्हें परित्यक्त स्थानों पर फेंक देते हैं। पालना योजना इस तरह की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगाने में सक्षम है।
श्री सारंगल ने जिला कार्यक्रम अधिकारी मनजिंदर सिंह को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान’ के तहत बाल घरों में रहने वाले बच्चों के लिये कोचिंग कक्षायें शुरू करने का निर्देश दिया ताकि उन्हें घरों में बेहतर शैक्षणिक सुविधायें मिल सकें। ये कोचिंग कक्षायें जिले के सभी सात बाल गृहों में आयोजित की जायेंगी। इसी तरह, डीसी ने बच्चों और शिक्षकों को जेजे एक्ट, पोक्सो एक्ट, बाल श्रम अधिनियम, बाल विवाह संरक्षण अधिनियम आदि के बारे में जागरूक करने के लिये सभी शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने बच्चों के बचाव और पुनर्वास के लिये उठाये जा रहे कदमों की भी समीक्षा की।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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