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कांग्रेस के अयोग्य घोषित विधायकों के भाजपा में जाने पर कानूनी पेच

शिमला, 21 मार्च (वार्ता) हिमाचल में कांग्रेस के अयोग्य घोषित विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल करने में अभी कानूनी पेच है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर भी राष्ट्रीय राजधानी में इस पर गहन चर्चा हुई है। ऐसे में माना गया है कि इन बागियों विधायकों के शामिल होने में अभी वैधानिक जोखिम है।
ऐसा कहा जा रहा है कि इन छह बागियों को पहले अपनी याचिका वापस लेनी होगी। उसके बाद ही ये भाजपा में जा पाएंगे। संविधान और कानून के विशेषज्ञों को मानना है कि कानूनी जटिलताएं न रहने पर ही सभी छह विधायक भाजपा में जा सकते हैं। अभी इन छहों नेताओं ने हालांकि अपना स्टैंड पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता और विधि विशेष महेंद्र झराईक ने आज कहा कि अगर अयोग्य घोषित कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो उनकी याचिका रद्द हो जाएगी। इसका मतलब यह हुआ कि वे अपनी याचिका के खिलाफ गए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने इन छहों के खिलाफ व्हिप जारी होने के बावजूद वित्त विधेयक के पारित करने के समय उपस्थित न होने पर फैसला सुनाया है और इनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की है।
सभी विधायक हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। वहां उन्होंने व्हिप की अनुपालना नहीं करने के आरोप के खिलाफ ही दलील दी है तो स्वाभाविक रूप से वे यह नहीं मान रहे हैं कि उन्होंने भाजपा का साथ देने के लिए ऐसा किया। अगर वे याचिका के लंबित होने पर भी भाजपा में जाते हैं तो यह भी एक तरह से इसी बात को प्रमाणित करेगा कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला उन्होंने मान लिया।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. कमल मनोहर शर्मा ने कहा कि उन्हें भाजपा में शामिल करने से पहले याचिका को वापस लेना होगा। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो अपनी ही याचिका के खिलाफ जाने वाली बात होगी। अगर ऐसा नहीं करते तो इसकी आगे भी कानूनी जटिलताएं आ सकती हैं।
सं. उप्रेती
वार्ता
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