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एचएयू के वैज्ञानिकों ने की मटर के पौधों की नई बीमारी की पहचान

चंडीगढ़, 22 मार्च (वार्ता) हरियाणा के हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, के वैज्ञानिकों ने मटर की फसल को प्रभावित करने वाली एक नई और संभावित विनाशकारी बीमारी की पहचान की है।
"चुड़ैलों का झाड़ू" नामक यह बीमारी रोगज़नक़ 'कैंडिडैटस फाइटोप्लाज्मा एस्टेरिस' (16एसआर1) से जुड़ा है।
पौधों में नई बीमारियों को पहचान करने वाली अमेरिका की फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी (एपीएस), ने वैज्ञानिकों द्वारा इस बीमारी के संदर्भ में तैयार की गयी रिपोर्ट को अपनी प्रतिष्ठित पत्रिका 'प्लांट डिजीज' में पहली शोध रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित किया है।
गौरतलब है कि एपीएस पौधों की बीमारियों के अध्ययन के लिए सबसे पुराने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगठनों में से एक है, जो विशेष रूप से पौधों की बीमारियों पर विश्व स्तरीय रिपोर्टों को प्रकाशित करता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बीआर कंबोज ने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस बीमारी की खोज करने वाले दुनिया के पहले वैज्ञानिक हैं। उन्होंने फाइटोप्लाज्मा मटर रोग पर एक शोध रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसे एक अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा मान्यता दी गई है और उसके जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
उन्होंने कहा कि बदलते कृषि परिदृश्य में विभिन्न फसलों में उभरते खतरों की शीघ्र पहचान महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को जल्द से जल्द रोग नियंत्रण पर काम शुरू कर देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि नई बीमारी पहली बार फरवरी 2023 में सेंट्रल स्टेट फार्म, हिसार में मटर की फसल में देखी गई थी, जहां 10 प्रतिशत मटर के पौधे बौने और झाड़ीदार हो गए थे। एचएयू के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत के बाद इस बीमारी के कारक एजेंट कैंडिडैटस फाइटोप्लाज्मा एस्टेरिस की खोज कर ली है। उन्होंने कहा कि बीमारी की शीघ्र पहचान से नियोजित प्रजनन कार्यक्रम विकसित करने में मदद मिलेगी।
संतोष, संतोष
वार्ता
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