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शुक्ल ने डॉ. चड्ढा की लिखित पुस्तक का किया विमोचन

शिमला, 03 अप्रैल (वार्ता) हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बुधवार को राजभवन में डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित पुस्तक ‘डलहौजी थ्रू माई आइज’ यात्रा मार्गदर्शिका का विमोचन किया।
राज्यपाल ने लेखिका के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पर्यटन की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिला के डलहौजी शहर की अपनी विशिष्ट पहचान है। उन्होंने कहा कि लेखिका ने पुस्तक के माध्यम से शहर के बदलते स्वरूप के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। पुस्तक में डलहौजी शहर के विरासत भवनों, स्कूलों, चर्चों, होटलों, छावनी और पर्यटकों की रुचि के स्थानों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है।
श्री शुक्ल ने कहा कि तस्वीरों के माध्यम से डलहौजी की धौलाधार पर्वतमाला और पहाड़ियों को जीवंत किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें डलहौजी के 150 से अधिक वर्षों के इतिहास को सचित्र दर्शाया गया है। पुस्तक में ब्रिटिशकाल का वर्णन करते हुए बताया गया है कि उनके द्वारा वर्ष 1859-60 में इस पहाड़ी शहर की स्थापना की गई थी।
उन्होंने कहा कि पुस्तकें समाज का दर्पण होती हैं और इनसे ज्ञानवर्धन होता है। इस पुस्तक में शहर के समृद्ध इतिहास और भौगोलिक स्थिति की जानकारी संकलित की गई है।
केंद्र सरकार की पूर्व संयुक्त सचिव डॉ. किरण चड्ढा डलहौजी से संबंध रखने वाली एक लेखिका और कवयित्री हैं। इस पुस्तक में लेखिका और छायाकार विक्की रॉय द्वारा ली गई तस्वीरों का संकलन है। पुस्तक में डलहौजी शहर में यूरोप की संस्कृति और वहां की जीवनशैली के माध्यम से हुए बदलावों को दर्शाया गया है और डलहौजी क्लब के बारे में जानकारी दी गई है।
इस अवसर पर डॉ. चड्ढा ने बताया कि ‘डलहौजी थ्रू माई आइज’ में शहर के लगभग दो शताब्दियों के इतिहास का सचित्र वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा मार्गदर्शिका वर्ष 1859-60 के बाद से डलहौजी के इतिहास की पूरी जानकारी से क्षेत्र के अनछुए स्थलों से अवगत करवाती है। इसमें डलहौजी स्थित सभी संस्थानों, स्कूलों, कॉटेज आदि की जानकारी भी शामिल है। उन्होंने कहा कि डलहौजी पर यह सचित्र और ऐतिहासिक यात्रा मार्गदर्शिका अपने वर्तमान लघु संस्करण में पर्यटकों और यात्रियों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश पर्यटन यवसाय से जुड़े लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी और उपयोगी साबित होगी।
डॉ. चड्ढा विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण पर संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों से जुड़ीं थीं। उन्होंने कई शोधपत्र लिखे हैं और द्वितीय विश्व युद्ध पर उनका आलेख वर्ष 2001 में प्रकाशित हुआ था। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल द्वारा उन्हें वर्ष 2002 में श्रेष्ठ पुत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष, 2014 से एक एनजीओ ‘स्वच्छ डलहौजी’ भी चलाती हैं और समाज सेवा से संबंधित कई कार्य करती हैं।
सं.संजय
वार्ता
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