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राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य कवि बागड़ी का निधन

झुंझुनू, 28 मई (वार्ता) राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य कवि और शिक्षक चिरंजीलाल बागड़ी (93) का आज चिड़ावा में निधन हो गया।
वह लम्बे समय से बीमार थे। सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनका जन्म चिड़ावा में एक साधारण परिवार में हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय और बाद में चिड़ावा विद्यानिकेतन स्कूल चिड़ावा में लंबे समय तक शिक्षक की भूमिका निभाई।
बागड़ी ने राजस्थानी भाषा और साहित्य के उत्थान में काफी योगदान दिया। राजस्थानी गीत जग म्हारा दीवला..जगेली थारी बाती रे...ज्ञान रे परकास सूं होवेली घणी ख्याति रे... बेहद ही लोकप्रिय हुआ था। बागड़ी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए साहित्यकार महामहोपाध्याय डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया सम्मान सहित कई सम्मान मिले। अपने जीवन काल मे उन्होंने एक आदर्श शिक्षक की भूमिका भी वर्षों तक निभाई।
बागड़ी के निधन पर साहित्य जगत में शोक व्याप्त हो गया। साहित्यकार श्याम जांगिड़, डॉ. एलके शर्मा, राजेश कमाल, भागीरथ सिंह भाग्य, नागराज शर्मा सहित कई साहित्यकारों, कवियों ने बागड़ी के निधन को साहित्य जगत के लिए अपूर्ण क्षति बताया और शोक संवेदना जताई है।
सर्राफ सुनील
वार्ता
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