राज्य » राजस्थानPosted at: Jul 30 2019 6:07PM विश्वविद्यालयों से कुलपति को हटाया जा सकेगाजयपुर 30 जुलाई (वार्ता) राजस्थान में सरकारी विश्वविद्यालयों में अनियमितता पाये जाने पर कुलपति को हटाया जा सकेगा। विश्वविद्यालयों की विधियां संशोधन विधेयक 2019 को आज राज्य विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जिसमें अनियमितता पाये जाने पर कुलपति के खिलाफ जांच की जा सकेगी तथा कुलपति को हटाने के लिये कुलाधिपति को अनुशंसा की जा सकेगी। विधेयक में जांच के दौरान कुलपति को अपना पक्ष रखने का अवसर दिये जाने का प्रावधान भी है। विधेयक में कुलपति को निलम्बित करने का प्रावधान भी है। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुये शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग ने विपक्ष के इस आरोप को गलत बताया कि यह विधेयक राजनीतिक बदले की भावना से कुलपतियों को हटाने के लिये लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा विश्वविद्यालयों में हस्तक्षेप करने की नहीं है लेकिन कुलपति को निरंकुश भी नही छोडा जा सकता। उन्होंने कहा कि कई ऐसी शिकायतें सामने आयी है जिसमें लोकायुक्त जांच में कुलपति की अनियमिततायें सामने आने के बाद भी उन्हें हटाना मुश्किल था। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) शासन में संघ की विचारधारा के लोगों को विश्वविद्यालयों में कुलपति बनाने का अवसर दिया गया। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनुदान देने की शक्तियां छीनकर मानव संसाधान विभाग को देने के लिये भी केन्द्र सरकार को आडे हाथ लिया। इससे पहले प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कुलपति के लिये दस वर्ष के अनुभव के साथ निष्ठा एवं सक्षमता आदि की अर्हताएं रखने पर सवाल खडे करते हुये कहा कि इसे नापने के लिये कोई पैमाना हो सकता है क्या। इस पर श्री गर्ग ने केन्द्र सरकार के वर्ष 2018 के एक अध्यादेश का हवाला देते हुये कहा कि यह सभी अर्हताएं अध्यादेश अनुरूप ही शामिल की गयी है।पारीक रामसिंहवार्ता