राज्य » राजस्थानPosted at: Sep 28 2021 5:46PM परिवर्तित होते जलवायु के अनुकूल फसलें लगाकर चुनौती का सामना कर सकते हैं किसान-गोष्ठीबीकानेर 28 सितम्बर (वार्ता) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर द्वारा एक वैज्ञानिक-किसान संवाद गोष्ठी का आयोजन मंगलवार को किया गया। कार्यक्रम में बीकानेर जिले के आस-पास के 100 से अधिक किसानों ने भाग लेकर वैज्ञानिकों के साथ बदलते हुए जलवायु परिवेश में शुष्क बागवानी की फसलों पर चर्चा की गयी। गोष्ठी को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो डॉ पी एल सरोज ने कहा कि परिवर्तित होते हुए जलवायु के अनुकूल फसलें लगा कर किसान इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह संस्थान इस दिशा में कार्य कर रहा है और आने वाले समय में हम बदलती जलवायु के आधार पर फलों और सब्जियों की किस्में और तकनीकियों का विकास करेंगे। संस्थान के फसल उत्पादन विभाग के अध्यक्ष डॉ बी डी शर्मा ने कहा कि समय के अनुसार परिवर्तनशील होकर हम प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के अनुरूप फसलों का चुनाव करना आवश्यक है। बागवानी विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ दिलीप कुमार समादिया ने कहा कि मरुधरा में स्थानीय फसलों की खेती लाभकारी होती है। किसानों को बाहर से लाए हुए बीजों को उगाने से बचना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के दौर में स्थानीय फसलें अधिक लाभदायक हैं। उन्होंनेे कहा कि वे स्वयं बीज और पौध तैयार करें। बीज और पौध तैयार करने के लिए संस्थान द्वारा किसानों को समय.समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है। फसल सुधार विभाग के अध्यक्ष डॉ धुरेन्द्र सिंह ने कहा कि बदलती जलवायु में फलदार पौधे किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होंगे। जलवायु के अनुकूल किस्मों का चुनाव कर प्रमाणित नर्सरी से पौध लेकर वैज्ञानिक तकनीकी के अनुसार बगीचा लगाकर लाभ को दुगना किया जा सकता है। संजय रामसिंहवार्ता