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मिश्र ने संविधान के आलोक में भारतीय संस्कृति से जुड़ने का किया आह्वान

जयपुर, 18 मार्च (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भारतीय संस्कृति को उदात्त जीवन मूल्यों से जुड़ी हुई बताते हुए कहा है कि इस संस्कृति से सीख लेते हुए सभी को सर्व कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।
श्री मिश्र सोमवार को एक निजी होटल में आयोजित संस्कृति युवा संस्थान द्वारा आयोजित 'राजस्थान गौरव' सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसीलिए विश्वभर को मार्गदर्शन प्रदान करते भारत विश्वगुरु रहा है। उन्होंने कहा कि वही समाज विकास की ओर अग्रसर होता है जहां प्रतिभाओं का सम्मान होता है। उन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं को 'राजस्थान गौरव' सम्मान प्रदान करते हुए उनसे अपेक्षा भी की कि वे देश और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर कार्य करें।
उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कोई संस्था समाज सेवा से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाली प्रतिभाओं को 29 वर्षों से निरंतर सम्मानित कर रही है। उन्होंने कहा कि जिन्हें सम्मान मिलता है, उनका समाज के प्रति दायित्व और अधिक बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि संस्कृति का अर्थ ही होता है निरंतर जो परिवर्तन को लेकर चले। हर समय जिसमें परिवर्तन और नया कुछ ग्रहण करने की क्षमता बनी रहे, वही संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति इसीलिए विश्व भर में आज भी अपनी पहचान बनाए हुए कि इसमें उदारता है। इसमें नए परिवर्तनों को साथ लेकर चलने की क्षमता है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे सामाजिक परिवर्तन के संवाहक बनें। उन्होने सभी को जीवन में संतुलन और परस्पर समन्वय रखते हुए कार्य करने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संविधान अधिकारों और कर्तव्यों का संतुलन लिए है। यह देश को शासित करने से जुड़ा विधान ग्रंथ ही नही है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और उदात्त जीवन मूल्यों का प्रतिबिम्ब है। उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर उकेरे चित्रों की चर्चा करते हुए कहा कि इनमें राष्ट्र से जुड़ी हमारी दृष्टि को रूपायित किया हुआ है। उन्होंने संविधान के आलोक में भारतीय संस्कृति सें जुड़े रहने का आह्वान किया।
इससे पहले संस्कृति युवा संस्थान के पंडित सुरेश मिश्रा ने बताया कि संस्थान द्वारा पिछले 29 वर्षों में 850 से अधिक प्रतिभाओं को 'राजस्थान गौरव' से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि संस्थान एक लाख से अधिक युवाओं की भागीदारी वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जयपुर मैराथन का आयोजन करता है। लंदन की ब्रिटिश पार्लियामेंट, अमरीका के यूनाइटेड नेशन और फ्रांस के सीनेट में भारतीय प्रतिभाओं को 'भारत गौरव' अलंकरण से सम्मानित किया जाता है।
इसके अलावा युवा प्रोत्साहन के लिए उन्हें स्कॉलरशिप आदि भी दी जाती है। इस अवसर पर अधिवक्ता एच.सी. गणेशिया ने संस्कृति युवा संस्थान के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि इसके जरिए आदर्श की स्थापना करने वाले व्यक्तित्वों की परख कर उन्हें सम्मानित किया जाता है।
जोरा
वार्ता
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