Monday, Apr 29 2024 | Time 02:38 Hrs(IST)
image
राज्य » राजस्थान


कृषि को बिजनेस मॉडल की शक्ल देने का समय: डॉ. प्रताप

उदयपुर, 22 मार्च (वार्ता) पर्वतीय और जैविक कृषि के अंतरराष्ट्रीय पुरोधा डॉ तेज प्रताप सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा, शोध और प्रसार के साथ-साथ वैल्यु एडिशन का समावेश जरूरी है तभी कृषि को बिजनेस मॉडल की शक्ल दिया जाना सभव है।
डॉ तेज प्रताप सिंह शुक्रवार को यहां प्रसार शिक्षा निदेशालय सभागार में 22 वी प्रसार शिक्षा परिषद् की वार्षिक बैठक को बतौर मुख्य अतिथि सबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश भर के कृषि विश्वविधालयों में होने वाली शोध गतिविधियां सीमित दायरे में सिमट कर रह गई है जबकि मूल में किसान है। ऐसे में किसानों सहित विश्वविद्यालय की अन्य घटक ईकाइयों के लोगों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए। विश्वविद्यालय के हर कृषि वैज्ञानिक को सामुदायिक विकास सेवा के मंतव्य को ध्यान में रखकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि भूमि और जलवायु के चलते जरूरी नहीं कि एक ही गतिविधि पूरे देश में लागू हो। हम लोगो को किताबी ज्ञान तो खूब है, लेकिन खेत में कृषक क्या कुछ नवाचार कर रहा है उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वीर चंद्रेश तिवारी गढवाली उत्तराखंड एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार में निदेशक प्रसार रहे डॉ. चंद्रेश तिवारी ने कहा कि यह सत्य है कि कृषि विज्ञान केन्द्र और हम सभी किसान के लिए काम कर रहे है लेकिन किसान कंफ्यूज है। सत्य तो यह है कि आज नैनो यूरिया, डीएपी और ड्रोन से कीटनाशक व यूरिया छिडकाव का चलन तो बढ़ रहा लेकिन शोध इस पर होना जरूरी है कि ड्रोन में पानी और दवा या यूरिया को सही अनुपात का ज्ञान हो ? यह डेटाबेस हमारे पास होगा तो हम किसानों को सही राह दिखा सकेंगे। उन्होंने इस बात पर आफसोस जाहिर किया कि आज आदान विक्रेता ही प्रसार प्रतिनिधि की भूमिका निभा रहा है जो गलत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौधोगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक कहा कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत आज खाद्यान, उद्यानिकी व दुग्ध उत्पादन में शीर्ष देशों में शुमार है। हमने कई क्षेत्र में चीन जैसे देश को भी मात दे दी है। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र का लगातार घटना भी चिंताजनक है। आरंभ में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आर ए कौशिक ने प्रसार शिक्षा परिषद की 2020 की बैठक में लिए गए निर्णयों की क्रियान्वयन रिपोर्ट प्रस्तुत की। साथ ही 22 वीं प्रसार शिक्षा परिषद् बैठक एजेण्डा भी प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में निदेशालय के अधीन डूंगरपुर, भीलवाडा, राजसमंद, चित्तौडगढ, बांसवाडा व प्रतापगढ अदि जिलों में आठ कृषि विज्ञान केन्द्र है। आगामी एक वर्ष में केवीके पर आय बढ़ाने के स्रोतों, मोबाइल एप विकसित कर अधिकाधिक किसानों को जोडने एवं नवीनतम कृषि तकनीको को सुगमता से फील्ड में पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे।
रामसिंह.संजय
वार्ता
image