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जेकेके में दो दिवसीय चिल्ड्रन लिटरेचर फेस्टिवल का समापन

जयपुर 31 मार्च (वार्ता) राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित दो दिवसीय चिल्ड्रन लिटरेचर फेस्टिवल का रविवार को समापन हो गया।
जयपुर के जवाहर कला केंद्र (जेजेके) में आयोजित इस फेस्टिवल में बच्चों की क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिला और इस दौरान बच्चों ने स्टोरी टेलिंग, वर्कशॉप, नाटक, डूडल वॉल, क्रॉफ्ट मेकिंग समेत अन्य रचनात्मक गतिविधियों के सत्र में हिस्सा लिया। ये सत्र बच्चों की दुनिया का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
इस दौरान बुक फेयर में बच्चों ने अपनी पसंदीदा किताबें भी खरीदी। कुछ सत्र बच्चों के साथ—साथ बड़ों के लिए भी बड़े रोमांचक रहे। इसमें देशभर के 27 विशेषज्ञों ने 50 सत्रों में भाग लिया।
फेस्टिवल के अंतिम दिन रविवार को कहानी कुंड में कमल काबुलीवाला, शिवानी कानोडिया, विक्रमजीत सिंह रूपराई, दीपा किरण, स्वेचा प्रसाद और अभिषेक मुद्गल ने अलग—अलग कहानियां सुनाई। स्टूडियो में गायत्री, नंदनी नैय्यर, वसुंधरा बहुगुणा, लिकला और ऑडिटोरियम में ममता नैनी, दीपा अग्रवाल ने सेशन लिए। अभिषेक मुद्गल के निर्देशन में हुए नाटक तिन तिगाड़ा काम बिगाड़ा ने खूब गुदगुदाते हुए समाज में प्रचलित गलत धारणाओं का खंडन किया। क्राफ्ट कॉर्नर में श्रुति हेमानी ने बच्चों को भावनाओं की अभिव्यक्ति के विषय में बताया, लिकला ने विजुअल आर्ट के विभिन्न पहलु बताए, शर्लिन पिमेंता ने लकड़ी और कागज से क्राफ्ट बनाना सिखाया। डूडल वॉल पर कार्टूनिस्ट अजित नारायण, बोस्की जैन, अनुपम अरुनाचलम, इकरूप सांधु ने अलग—अलग तरीके से मन के भावों को रंगों से उकेरने का हुनर सिखाया। बच्चों ने कागज पर इमोजी बनाकर इमो ट्री के साथ अपने मनोभाव साझा किए।
दिल्ली से अपने बच्चों को लेकर इसमें पहुंचे वरुण खुराना ने इस आयोजन के लिए जेकेके का आभार जताते हुए कहा कि फेस्टिवल ने बच्चों ही नहीं पेरेंट्स को भी बहुत कुछ सिखाया है।
जोरा
वार्ता
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