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मुकुंदरा में..वाइल्ड़ लाइफ ट्यूरिज्म.. के विकास के लिये बाघ बसाने पर जोर

कोटा 03 अप्रैल (वार्ता)। राजस्थान में कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को आबाद करने में बरती जा रही ढिलाई पर प्रमुख वन्य जीव एवं पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने गहरा खेद व्यक्त करते हुये कहा है कि ..वाइल्ड़ लाइफ टूरिज्म.. का विकास कर युवाओं
के लिये रोजगार के नये अवसर पैदा करने के साथ ही बाघों को बसाने में गंभीरता से प्रयास करके तेजी लाने की आवश्यकता है।
कोटा के विभिन्न वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठनों पगमार्क फाउंडेशन, सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ हिस्टोरिकल एंड इकोलॉजिकल रिसोर्सेज, चंबल रेस्क्यू फोर्स, बाघ-चीता मित्र, चंबल संसद, जल बिरादरी और अन्य सहयोगी संस्थाओं की ओर से बुधवार को नयापुरा स्थित चिड़ियाघर के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) कार्यालय के बाहर अपनी मांगों
को लेकर धरना दिया गया। इसके बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को दिये गये एक ज्ञापन
में कहा गया है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को बसाने की शुरुआती प्रक्रिया के रूप में कोटा स्थित अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में एक वर्ष से भी अधिक समय से बंधक के रूप में रखे गये बाघ शावकों को तुरंत प्रभाव से दरा स्थित टाइगर एन्क्लोजर में मुक्त किया जाना चाहिये जिससे वन्यजीव के रूप में इनकी प्राकृतिक बसाहटें बनी रहें। वर्तमान में नर का वजन लगभग 150 किग्रा एवं मादा का वजन लगभग 120 किग्रा है। ये अवयस्क बाघ-बाघिन बन चुके हैं। निश्चित ही ये शावक आने वाले वर्षों में मुकंदरा को आबाद करने में सहायक हो सकेंगे।
कोटा के वन एवं वन्यजीव,पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि किसी भी संरक्षित बाघ वन क्षेत्र के लिये बाघ-बाघिन का जो लिंगानुपात होना चाहिये, उसे विचाराधीन रखते हुये पूर्व में ही
तय किये जा चुके सैद्धांतिक अनुबंध के अनुसार मुकंदरा में जल्दी से जल्दी और बाघ-बाघिन लाने की प्रकिया में तेजी लानी चाहिये।
पर्यावरण प्रेमियों ने आग्रह किया है कि बाघों के साथ अन्य मांसाहारी वन्य जीवों की आवश्यकतानुसार मुकंदरा में प्रे-बेस बढ़ाने चाहिये। यद्यपि विभाग ने पूर्व में भी केवलादेव सहित अन्य स्थानों से लाकर चीतल छोड़े थे, लेकिन वर्तमान में यह प्रक्रिया पूर्णत: रुकी
हुई है, अत: विभाग को इसके लिये शीघ्र कदम उठाने चाहिये। इसमें वर्तमान में यहां मौजूद शाकाहारियों वन्यजीवों को ओर बढ़ाकर पर्याप्त संख्या के स्तर तक लाने के लिये प्रयास किये जाने चाहिये।
पगमार्क फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाडा ने कहा कि वन्यजीव विभाग को स्थानीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के साथ एमओयू करना चाहिये। इससे जीव विज्ञान के विद्यार्थियों को शोध करने के नये अवसर प्राप्त हों, जिनका उपयोग विभागीय प्रबंधन में भी किया जा सकता है। विभाग एवं मुकंदरा के आस-पास उपस्थित ग्रामीणों के बीच संवाद एवं सौहार्द की बहुत कमी है, जिसके कारण मुकंदरा के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती, अत: विभाग के आला अधिकारियों को निरंतर स्थानीय ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं एवं उनके समाधान पर विचार-विमर्श करना चाहिये।
सं.रामसिंह.श्रवण
वार्ता
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