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किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने की चेतावनी

कोटा,06 अप्रेल (वार्ता) राजस्थान में कोटा जिला प्रशासन ने किसानों को पराली नहीं जलाने की सलाह देते हुए कहा कि किसान इसका कृषि की दृष्टि से सदुपयोग कर पर्यावरण को होने वाली क्षति पहुंचने से बचा सकते हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रबी की फसल गेंहू एवं जौ आदि की कटाई के उपरान्त खेत में फसल अवशेष में कुछ कृषकों द्वारा आग लगाई जाती है जिससे वायु प्रदूषण होता है एवं मृदा को हानि पंहुचती है। राजस्थान राज्य अधिसूचना द्वारा वायु अवशेष 19 (5) (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत फसल अवशेष जलाना प्रतिबंधित किया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 188 एवं अन्य सुसंगत धाराओं के तहत दोषी को दंडित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि कृषक फसल अवशेषों को जलाने के बजाए इनका सदुपयोग कर सकते हैं। फसल अवशेषों का स्ट्रारीपर के माध्यम से भूसा बनाकर अपने पशुओं के लिये भण्डारण एवं अतिरिक्त भूसे को बेचकर आर्थिक लाभ कमा सकते हैं। फसल अवशेषों को गोबर के साथ मिलाकर केंचुआ खाद तैयार कर सकते हैं। फसल अवशषों का बगीचों एवं सब्जियों में मल्च के रूप में उपयोग करके पानी के वाष्पोत्सर्जन एवं खरपतवार की वृद्धि को रोका जा सकता है। कागज, गत्ते बनाने वाली एवं बायोमास से गेस बनाने वाली फेक्ट्रियों को बेचकर आर्थिक लाभ कमा सकते हैं। कृषि विभाग द्वारा कृषकों को स्ट्रारीपर तथा रोटावेटर पर अनुदान दिया जा रहा है ताकि कृषक स्ट्रारीपर से भूसा बना सकते हैं तथा रोटावेटर से फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर मृदा की कार्बनिक क्षमता बढ़ा सकते हैं।
प्रशासन ने चेतावनी दी कि इसके बावजूद फसल अवशेषों में आग लगाते हुए पाये जाते हैं तो 2 एकड़ से कम भूमि वाले कृषकों पर प्रतिघटना 2500 रूपये जुर्माना, 2 से 5 एकड़ भूमि वाले कृषको पर प्रतिघटना 5000 रूपये जुर्माना, 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले कृषको पर प्रतिघटना 15 हजार रूपये जुर्माना वसूलने का प्रावधान है।
सं रामसिंह अशोक
वार्ता
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