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आंजना की उम्मीदवारी से चित्तौड़गढ़ में जोशी को मिल रही कड़ी टक्कर

चित्तौड़गढ़ 09 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष एवं चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से प्रत्याशी चंद्र प्रकाश जोशी जो इस बार भी अपरी भारी जीत के प्रति आश्वस्त थे, लेकिन कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता उदयलाल आंजना को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
कडे़ मुकाबले में फंसे श्री जोशी अब अपने क्षेत्र से बाहर कहीं भी चुनाव प्रचार के लिये नहीं जा पा रहे हैं। पार्टी के विधायकों सहित पिछले कुछ समय से वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी भी जीत के अंतर को कम करती दिखाई दे रही है। भारत आदिवासी पार्टी (बाप) उम्मीदवार ने कांग्रेस के लिये मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अभी तक यहां मतदाता खामोश बैठा हुआ है और मोदी या राम लहर जैसा कुछ सामने भी नहीं आ रहा है।
श्री जोशी जो गत चुनाव में कांग्रेस के गोपाल सिंह ईडवा से बाहरी बनाम स्थानीय के नारे
के दम पर करीब छह लाख मतों से जीते थे और इस बार फिर उम्मीदवारी घोषित होते ही उनके समर्थक एवं पार्टी के दिग्गज नेता इस बार दस लाख से जीत का दावा कर रहे थे। कांग्रेस ने धनबल वाले अपने कद्दावर नेता पूर्व मंत्री एवं सांसद उदयलाल आंजना को
प्रत्याशी बनाकर श्री जोशी के सामने चुनौती पेश की है।
श्री आंजना के साथ मुफीद स्थिति यह भी है कि भाजपा जो अब तक अफीम किसानों की राजनीति कर संसद में पहुंचती रही है, उसके सामने इस बार अफीम डोडा-चूरा के पुराने व्यवसायी श्री आंजना के होने से करीब तीन लाख मतों का भी बंटवारा होने का अनुमान है।
श्री जोशी अपने प्रचार की शुरुआत में अफीम पर ही अपना प्रचार केंद्रित किये हुये थे, वह अब अपने 10 सालों में करवाये गये कामों पर भी जन सम्पर्क के दौरान समर्थन मांग रहे हैं। श्री जोशी के साथ एक और समस्या बनी हुई है कि गत विधानसभा चुनावों में टिकटों में उनकी भूमिका से चित्तौड़गढ़, बेंगू, मावली एवं वल्लभनगर क्षेत्र में गुटों में बंटे कार्यकर्ता एकजुट नहीं हो सके हैं। मावली से बागी लड़ने वाले कुलदीप सिंह और चित्तौड़गढ़ से लड़ने वाले चंद्रभान सिंह और उनके समर्थकों की भले पार्टी में वापसी हो गयी है लेकिन श्री जोशी के समर्थक उन्हें पार्टी कार्यक्रमों और उनके दौरों में बुला नहीं रहे हैं।
बेंगू विधायक का एक कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष सहित जोशी समर्थक पदाधिकारियों द्वारा
किये अपमान और उस पर जोशी की चुप्पी बेंगू के धाकड़ मतों के ध्रुवीकरण में बाधा है। वल्लभनगर में पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर को पार्टी में लेने से संघ खेमा खासा नाराज है, भिंडर पर वर्ष 2005 में विधायक रहते एक स्वयंसेवक की हत्या के आरोप लगे थे, तब से वह पार्टी से बाहर थे। श्री जोशी अपने सौम्य व्यवहार और काम के दम पर जीत के प्रति आश्वस्त है, हालांकि अंतर इस बार बेहद कम रहने के आसार बन रहे हैं।
इधर, श्री आंजना के साथ अब तक विभिन्न गुटों में बंटी पार्टी एकजुट होकर मैदान में हैं
और वह लगातार दौरे कर रहे हैं, जहां अपनी अपनी अदावत भुलाकर सभी नेता कार्यकर्ता उनके साथ हैं। निम्बाहेड़ा से प्रतापगढ़ तक उनका पुराना गढ़ होने, मावली में हाल ही हुये विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत तथा भाजपा की सिर फुट्टोवल से इस बार वह जोशी को पटखनी देने के प्रति आश्वस्त है, लेकिन बाप के प्रत्याशी मांगीलाल मीणा की उम्मीदवारी सहित नाम वापसी के बाद बचे 18 उम्मीदवारों में अधिकांश जैसे बहुजन समाज पार्टी, अम्बेडकर कांग्रेस और दो तीन मुस्लिम प्रत्याशी की मौजूदगी से कांग्रेस को अपने ही परम्परागत मतों के बिखरने का खतरा बना हुआ है।
भाजपा एवं कांग्रेस सहित लोकसभा क्षेत्र में इस बार 18 उम्मीदवार मैदान में है। भाजपा
द्वारा देश भर में राम और मोदी लहर होने का दावा यहां पर अभी तक धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है फिर भी भाजपा अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है, भले ही इस बार जीत का
अंतर कम हो। भाजपा से हारे गोपाल सिंह ईडवा को भी इस बार भाजपा ने अपने पाले में कर दिया है लेकिन वह नागौर जिले के निवासी है और वह यहां पर बिल्कुल बेअसर हैं।
सं.रामसिंह.श्रवण
वार्ता
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