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जीवन की संजीवनी है आध्यात्मिक शिक्षा-यादव

माउंट आबू, 19 अप्रैल (वार्ता) हैदराबाद उस्मानिया यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर प्रो. डी. रविंद्र यादव ने कहा है कि आध्यात्मिक शिक्षा जीवन की संजीवनी है जो हर परिस्थिति को सूझबूझ से सामना करने की उर्जा देती है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। शिक्षा का लक्ष्य केवल किताबें पढ़ लेना नहीं है।
श्री यादव ने यह बात शुक्रवार को ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से वैश्विक परिवर्तन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कही।
संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी सुदेश दीदी ने कहा कि आध्यात्मिक शिक्षा की शुरुआत पहले माता-पिता से ही होती है। जिनके जीवन से बच्चे स्वतः सीख जाते हैं। उन्हीं संस्कारों के अनुरूप बच्चों की जीवनशैली निर्धारित होती है। देह अभिमान की स्थिति में की गई बात से दैहिक विकृतियों का जन्म होता है।
महाराष्ट्र परभणी वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ कुलपति डॉ. इन्द्रमणि ने कहा कि चरित्रवान व्यक्ति दूसरों को नीचा नहीं बल्कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सदैव सहयोग देने की मानसिकता रखता है। व्यक्तित्व विकास के लिए केवल सूचना नहीं बल्कि उस ज्ञान को कर्मों में उतारने को दृढ़ संकल्प होना चाहिए।
ज्ञान सरोवर निर्देशिका बीके प्रभा दीदी ने कहा कि स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन की नींव रखी जा सकती है। जीवन को मूल्यवान बनाने के लिए परमात्मा से निरंतर बुद्धियोग जोड़ना होगा।
अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (एमडीएस) के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने कहा कि शिक्षा और साक्षरता की बारीकियों को समझ कर उन्हें आत्मसात करने का पुरुषार्थ करना चाहिए। संस्कार अच्छे होंगे तो निश्चित रूप से घर, परिवार, समाज, देश व विश्व में बदलेगा।
सं जांगिड़
वार्ता
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