खेलPosted at: Aug 31 2018 3:59PM Share इस अवसर पर मौजूद दुती के कोच नागराज रमेश ने कहा कि एशियाई खेलों में एथलेटिक्स का स्तर बहुत ही ऊंचा है और इन खेलों में फर्राटा दौड़ में पदक जीतना बेहद मुश्किल काम है। रमेश ने कहा,“ अापको यह जानकर हैरानी होगी कि पिछले 17 एशियाई खेलों में भारत ने फर्राटा दौड़ों में महिला वर्ग में मात्र एक रजत और दो कांस्य जीते थे जबकि दुती ने एक ही खेलों में दो रजत जीत लिये। यह उसकी कड़ी मेहनत और कभी हार न मानने वाले जज्बे का परिणाम है।” एक माइक्रो सेकंड से स्वर्ण से चूकने वाली दुती को हालांकि इस बात का अफसोस रहा कि वह स्वर्ण हासिल नहीं कर सकी। उन्होंने कहा,“ दरअसल यह लंबाई का मामला था। स्वर्ण जीतने वाली एथलीट ने अपनी लंबाई का फायदा उठाते हुये बेहतर चेस्ट फिनिश किया जबकि मैं मामूली अंतर से चूक गयी। मुझे इस बात पर अब मेहनत करनी होगी कि फोटो फिनिश में ऐसी नौबत दोबारा न आये।” दुती ने साथ ही लंबाई की समस्या को खारिज करते हुये कहा,“ मेरे पास लंबाई नहीं तो क्या हुआ। भगवान की दया से मेरी स्प्रिंट बहुत तेज़ है। इसलिये मुझे नहीं लगता कि लंबाई कोई समस्या है। फिर भी मैं इस मामले में आगे बेहतर करने की कोशिश करूंगी।” उन्होंने साथ ही कहा,“ पीटी उषा के समय में देश में 11.9 और 11.8 के समय के साथ पदक आया करते थे। लेकिन अब यह स्थिति 11.3 या 11.4 पहुंच गयी है। अब मेरा लक्ष्य यही है कि मैं अपने समय को कम कर 11 सेकंड से नीचे लाऊं। मुझे इस बात की ज्यादा खुशी है कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मेरे अगले ओलंपिक तक का तमाम खर्चा उठाने का वादा किया है, जिससे मुझे अपनी तैयारी के लिये निश्चिंत होकर काम करने में मदद मिलेगी।”राज प्रीतिजारी वार्ता