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बुंदेलखंड की झांसी सीट पर उम्मीदवार को लेकर फंसी भाजपा

झांसी 27 मार्च (वार्ता) लोकसभा चुनाव 2019 में बुंदेलखंड की बेहद महत्वपूर्ण सीटों झांसी- ललितपुर क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा कौन होगा इसको लेकर जबरदस्त कशमकश का दौर जारी है। इस सीट का महत्व और इन पर दावेदारों की संख्या तथा प्रभाव को देखते हुए पार्टी नेतृत्व को भी उम्मीदवार के नाम को अंतिम रूप देने में नाको चने चबाने पड़ रहे हैं।
झांसी -ललितपुर संसदीय क्षेत्र में यदि मतदाता के रूझान की बात करें तो लोगों की पहली पसंद स्थानीय नेता की है । लोग चाहते हैं कि उनका नेता उन्हीं के बीच से हो और जनता की इसी नब्ज को पहचानते हुए और वर्तमान सांसद उमा भारती के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले के बाद कई दावेदार मैदान में आ गये हैं इन दावेदारों में वर्तमान विधायक रवि शर्मा, पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत ,पूर्व मंत्री रवींद्र शुक्ला, आर पी निरंजन, रामरतन कुशवाहा और हरगोविंद कुशवाहा के साथ साथ कई और लोग भी शामिल थे । भाजपा से टिकट की आस लगाये इस लंबी लिस्ट से किसी एक नाम का चयन कर पाना पार्टी नेतृत्व के लिए भी टेढी खीर साबित हो रहा है।
इसी पसोपेश का नतीजा है कि पार्टी की ओर से दसवीं लिस्ट जारी होने के बाद भी इस सीट पर स्थिति साफ नहीं हो पायी है। झांसी सीट पर सदर विधायक कार्यकर्ताओं के बीच पैठ ,स्थानीय नेता होना और पार्टी के उच्चस्थ तथा प्रभावी लोगों से नजदीकियों के चलते टिकट की दावेदारी ठोक रहे हैं। इस सीट पर जातीय समीकरणों का गणित भी उनके मुफीद है। दूसरी ओर पार्टी सूत्रों के अनुसार सीट से वर्तमान सांसद उमा भारती स्वयं तो इस बार चुनाव से किनारा कर चुकी हैं लेकिन बुंदेलखंड की इस सीट पर अति पिछड़े क्षेत्र से आने वाले श्री राजपूत के नाम को उन्होंने टिकट के लिए आगे बढाया है। इन दोनों ही दावेदारों के नाम पर पार्टी गंभीरता से विचार कर रही है और इतने मंथन के बाद भी एक ओर तो तस्वीर साफ नहीं हो पा रही , इसी बीच पूर्व सांसद पं़ विश्वनाम शर्मा के उद्योगपति बेटे अनुराग शर्मा का नाम भी उम्मीदवार के रूप में सुर्खियों में आ गया।
सोशल मीडिया पर अनुराग से जुड़े लोग इस सीट पर उनके नाम को आगे लाने में जुटे हैं। उन्हें अगर इस सीट से भाजपा उम्मीदवार बनाया जाता है तो बैद्यनाथ परिवार को एक बार फिर राजनीतिक नेतृत्व करने का अवसर मिल पायेगा हालांकि अनुराग एक समर्पित उद्योगपति हैं लेकिन अगर भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार चुना तो वह सक्रिय राजनीति में भी अपनी सेवाएं दे पायेंगे।
सूत्रों के अनुसार अनुराग के नाम पर भी पार्टी के भीतर गंभीर मंथन हो रहा है और उनको इस सीट से उम्मीदवार बनाये जाने की संभावनाएं भी काफी प्रबल हैं।
दूसरी ओर इस नाम के सामने आने और इस परिवार या इस नाम के प्रभाव को देखते हुए अनुराग को टिकट मिलने की बढ़ती संभावनाओं के बीच पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर कैसा असर पडेगा यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच इस नाम को लेकर नकारात्मक प्रतिक्रियाओं की सुगबुगाहट सुनायी देने लगी है। बाहरी व्यक्ति होने साथ ही पार्टी के लिए अभी तक किसी तरह का कोई योगदान नहीं देने के बावजूद अचानक पार्टी उम्मीदवार के रूप में अनुराग का नाम सामने आने से कार्यकर्ता खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और कुछ स्थानीय नेताओं के समर्थकों ने तो सोशल मीडिया पर इन नाम की मुखालफत भी शुरू कर दी है।
इस नये नाम को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं में उपजे असंतोष के बावजूद अंतिम फैसला आना अभी बाकी है और जो भी फैसला होगा वह ही यह साफ करेगा कि अनुशासित पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा के बीच स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की मंशा से इतर अगर कोई फैसला आता है तो पार्टी में अनुशासन किस हद तक कायम रह पाता है।
सोनिया
वार्ता
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