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ग्लेममार्क की रेमोग्लिफ्लोजिन मधुमेह पीड़ितों के लिये बनेगी वरदान

लखनऊ, 09 मई,(वार्ता) वैश्विक एकीकृत दवा कंपनी ग्लेनमार्क का दावा है कि देश में मधुमेह पीड़ितों के उपचार के लिये उसकी नयी दवा ने रेमोग्लिफ्लोजिन मील का पत्थर साबित होगी।
कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (इंडिया फॉम्र्युुलेंशंस) ने गुरूवार को यहां सोडियम ग्लूकोज को-ट्रांसपोर्टर (एसजीएलटी2) रेमोग्लिफ्लोजिन की लॉन्चिग के मौके पर कहा कि एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स नई एंटी-डायबिटिक दवाएं हैं जो कि गुर्दे के समीप स्थनलिका मे एसजीएलटी 2 रिसेप्टर्स पर क्रिया करते हुए ग्लाइसेमिक नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करती हैं, जिससे गुर्दे में ग्लूकोज की पुन: प्राप्ति रुक जाती है और मूत्र में ग्लूकोज के उत्सर्जन को बढ़ावा मिलता है। ग्लाइसेमिक नियंत्रण प्रदान करने के साथ, एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स वजन घटाने को प्रेरित करते हैं और हृदय संबंधी जोखिमों को कम करने में मदद करते हैं।
उन्होने कहा कि ग्लेनमार्क दुनिया की पहली कंपनी है जिसने रेमोग्लिफ्लोजिन लॉन्च किया है और इस अभिनव दवा का उपयोग करने वाला पहला देश भारत है। कंपनी ने रेमोग्लिफ्लोजिन को 12.50 रुपये प्रति टैबलेट की कीमत पर लॉन्च किया है, जिसे दिन में दो बार लेना होता है। यह देश में उपलब्ध एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स की तुलना में 50 फीसदी कम है। एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर की प्रतिदिन की चिकित्सा लागत लगभग 55 रुपये है, जबकि रेमोग्लिफ्लोजिन एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स पर डायबिटीज रोगियों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 11,000 रुपये की बचत प्रदान करता है।
मलिक ने कहा कि रेमोग्लिफ्लोजिन का विश्वस्तर पर 26 नैदानिक परीक्षणों में अध्ययन किया गया है, जिसमें विभिन्न जातीयताओं के लगभग 2,500 रोगी शामिल हैं। रेमोग्लिफ्लोजिन की खोज और विकास जापानी फर्म किसेई फार्मास्युटिकल कंपनी लिमिटेड ने किया गया था और बाद में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन पीएलसी और ग्लेनमार्क के सहयोगी बीएचवी फार्मा द्वारा विकसित किया गया,जो उत्तरी कैरोलिना,यूएसए में स्थित एवोलिन्टइंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। ग्लेनमार्क ने बीएचवी फार्मा के साथ लाइसेंसिंग सहयोग समझौते के माध्यम से रेमोग्लिफ्लोजिन को लेकर कुछ अधिकार हासिल किये और चरण-3 का नैदानिक परीक्षण किया,जिसमें किसी भी एसजीएलटी 2 इन्हिबटर के लिए किए गए परीक्षण में सबसे अधिक भारतीय रोगी शामिल थे।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडेरेशंस डायबिटीज एटलस 2017 के अनुसार, भारत में लगभग 7 करोड़ 20 लाख वयस्कों के डायबिटीज से पीड़ित होने का अनुमान है। आईक्यूवीआईए के आंकड़ों के अनुसार, भारत का डायबिटीज बाजार एमएटी मार्च 2019 तक 11,413 करोड़ अनुमानित है। एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स का बाजार आकार एमएटी मार्च 2019 तक 574 करोड़ अनुमानित है।
प्रदीप
वार्ता
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