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अयोध्या कारसेवा में सुलतानपुर के एक-एक गांव का रहा अविस्मरणीय योगदान: पांडे

सुलतानपुर, 06 अगस्त (वार्ता) अयोध्या में पांच अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि के भूमिपूजन के कार्यक्रम को देखकर उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में एक बार फिर वर्ष 1990 और 1992 यादें ताजा हो गयी।
कारसेवकों को रामदूत मान कर गांव की माताओं ने उनके लिये गर्म पानी और तेल से सेकाई करने की सेवा के साथ भोजन की भी व्यवस्था की थी। कारसेवकों को अयोध्या पहुंचाने में पड़ोसी जिला सुल्तानपुर के लोगों ने अविस्मरणीय योगदान दिया। भूमिपूजन के पूरे कार्यक्रम की लाइव देख लोग भावुकता में खुशी के आँसू छलक पड़ें।
भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश पांडे उर्फ बजरंगी ने “यूनीवार्ता” को गुरूवार को यहां बताया कि 30अक्टुबर 1990 में कारसेवा की घोषणा की गयी थी। लोगों को इससे पहले पहुंचना था। फैजाबाद जिले की सीमा पर बैरिकेटिंग और कड़ी चौकसी के कारण संगठन की ओर से सीमावर्ती सुलतानपुर पर अधिक ही जिम्मेदारी थी। कार सेवकों को ठहराने के लिए अयोध्या के आसपास 1500 स्थान तय किए गए थे। संगठन के लोगों को पुलिस से बचना और कारसेवको को पहुंचाना था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने नदी के किनारे घाटों के नावों को पलट दिया गया था। अभिवादन का जयराम भी कहना बहुत मुश्किल था, पुलिस तुरन्त गिरफ्तारी कर ले रही थी। ऐसे में कारसेवकों के अयोध्या तक पहुँचना एक संशयपूर्ण स्थिति थी। उतर प्रदेश होने के नाते इसकी चिंता संगठन में पहले ही की गयी थी। प्रभु श्रीराम का ऐसा करिश्मा हुआ कि एक एक गाँव के लोग राममंदिर के कारसेवको की सेवा में ऐसा मोर्चा संभाला कि संगठन की चिंता कम हो गयी। गाँव गाँव कारसेवकों के लिए भट्ठियाँ बन गयी, पूड़ी छनने लगीं, सब्जिया बन लगीं। लोग स्वेच्छा से कारसेवकों की हर तरह की सेवा में लग गए।
श्री बजरंगी ने बताया कि महिलाएं कारसेवको को रामदूत मानकर उनकी सेवा में लग गयी। ताकि उनकी थकान कम हो जाए। कारसेवकों के पैर के छाले ठीक करने के लिए उन्हे गर्म तेल भी लगाया गया। ग्रामीणों के स्वय खड़े होने के बल पर केवटों ने भी रात रात कारसेवकों को नदी पर करना शुरू कर दिया। स्थिति रामसेतु निर्माण जैसी हो गयी। जो जिस लायक था उसी तरह की मदद में लग गया था। जिले के सारे घाट पर हलियापुर, कटावा, भडरा, लंभुआ, चांदा आदि अनेक घाटों की भूमिका थी।
उन्होंने बताया कि कई स्थानों कार्यकताओ को रात्रि में बंदूक लेकर खडा होना पड़ा था कि इस दौरान कोई बाधक बना तो उससे मुकाबला कर भगाया जायेगा। पांच अगस्त को जब अयोध्या में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की उपस्थिति में भूमि पूजन का कार्यक्रम चल रहा था तो उन सभी ग्रामीणों को वह पुरानी सेवाए याद ताजा हो गयी। पल पल के कार्यक्रम लोगों में उल्लास भर रहा था। जिसका उनमें कोई ठिकाना नहीं था। उस समय की यादें लोगों में भावुकता लाकर आंखों में आंसू छलका दिये। आज उनका रोम-रोम इस बात से उल्लासित ही था कि आज से 30 साल पहले उन्होंने कारसेवकों को पहुंचाने में जो मदद की थी आज वह फलित होता दिखाई दे रहा है।
श्री बजरंगी ने बताया कि श्रीराम मंदिर के हर आंदोलन में सुलतानपुर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिला पूजन में कम बड़ी भूमिका नही थी।
सं भंडारी
वार्ता
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