राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Sep 26 2020 5:27PM उत्तर प्रदेश-गाजीपुर पर्यटन संभावना दो अंतिम गाजीपुरमहंत शत्रुघ्न दास ने बताया कि इलाके में मौनी बाबा धाम की समाधि स्थली कनुवान के समीप ही ब्रिटिश कालीन 20 फीट ऊंचा स्तूप। क्षेत्र के जलालाबाद स्थित 50 फीट ऊंचा मुगल कालीन ऐतिहासिक कोट स्थित है। इसके संबंध में कहा जाता है कि मुगल बादशाह द्वारा इस कोट परिसर में राजमहल भी बनवाया गया था। लगभग 75000 वर्ग मीटर में फैले इस कोट का प्रमाण आज भी मौजूद हैं। वहीं राष्ट्रीय चिंतक नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती, परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद, महावीर चक्र विजेता शहीद राम उग्रह पांडेय की जन्म स्थली विकास की बाट जोह रहे हैं। कुल मिलाकर जखनियां तहसील क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। खास बात यह है कि केंद्र सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा धार्मिक क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास योजना के बावजूद क्षेत्र में विकास की किरण नहीं दिख सकी है। जिससे जखनिया क्षेत्र अपने को उपेक्षित महसूस करता है। गौरतलब हो कि 400 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ भुड़कुड़ा मठ के संबंध में विश्वविख्यात आचार्य रजनीश जी द्वारा तीन पुस्तकें लिखी गई। वहीं पूर्व प्राचार्य डॉक्टर इंद्रदेव सिंह द्वारा लिखित यहां की संत परंपरा के शोध ग्रंथ का प्रकाशन बीएचयू वाराणसी द्वारा किया गया। यदि यहां की संत साहित्य को लेकर अध्ययन किया जाए तो उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग एवं हिंदी भाषा संस्थान को यहां से बहुत सामग्री प्राप्त हो सकती है। 700 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर व जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने कहा कि सिद्धपीठ स्थित वृद्धम्बिका देवी (बुढ़िया माई) की चौरी शक्ति प्रदाता है ,जिनका उल्लेख दुर्गा सप्तशती में है। इनकी शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि असाध्य रोग लगा लकवा जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोग भी यहां से दर्शन पूजन कर पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं। इसके साथ ही समूचे अध्यात्म जगत में इस सिद्धपीठ का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। गौरतलब हो कि सिद्धपीठ हथियाराम मठ की शाखाएं वाराणसी, इंदौर, हल्द्वानी, हरिद्वार सहित देश के कोने कोने में फैली हुई है। वर्तमान में जूना अखाड़े द्वारा इस सिद्धपीठ से सम्बंधित आधा दर्जन सन्त सन्यासियों को महामंडलेश्वर उपाधि दी गई हैं। तमाम ऐतिहासिक धार्मिक व सामाजिक महत्त्व सहेजें होने के बावजूद जखनिया क्षेत्र की बदहाली का आलम यह है कि सिद्धपीठों से होकर जखनियां तहसील होते हुए जिला मुख्यालय गाजीपुर जाने वाले मार्ग की स्थिति बहुत ही दयनीय है। इन बदहाल मार्ग की वास्तविक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस मार्ग पर चलने वाली एकमात्र उत्तर प्रदेश परिवहन सेवा की रोडवेज बस को विभाग ने 2 वर्ष पूर्व चलाने से मना कर दिया। जिसको लेकर परिवहन निगम का स्पष्ट कहना है कि मार्ग इतनी जर्जर है उस पर निगम की बस चलना संभव नहीं है। ऐसे में पर्यटन विभाग की नजर पड़े तो जखनिया क्षेत्र प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के नक्शे पर अपनी पहचान स्थापित कर सकता है। 700 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ, 400 वर्ष प्राचीन सतनामी परंपरा का सिद्धपीठ भुड़कुड़ा मठ, महाभारत कालीन तड़वा भवानी मंदिर, राष्ट्रीय किसान चिंतक स्वामी सहजानंद सरस्वती जन्मस्थली, परमवीर चक्र शहीद वीर अब्दुल हमीद जन्मस्थली व महावीर चक्र विजेता शहीद राम उग्रह पांडेय की जन्मस्थली स्थित है। इसके साथ ही शादियाबाद स्थित मलिक मरदान साहब मजार, जलालाबाद स्थित 75000 वर्ग मीटर में फैले मुगलकालीन कोट के अवशेष, व कनुवान मौनी बाबा मठ के पास ब्रिटिश कालीन स्तूप मौजूद है। खास बात यह कि इन सभी प्रमुख धार्मिक और पौराणिक स्थलों की दूरी जखनियां तहसील मुख्यालय से अधिकतम 10 से 12 किलोमीटर की दूरी पर है।सं त्यागीवार्ता