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दिमाग ठीक तो नशेड़ी को उसकी मर्जी के खिलाफ नही कर सकते निरूद्ध

प्रयागराज ,23 अक्टूबर (वार्ता) केंद्र ,राज्य सरकारों और सामाजिक संगठनों के देश को नशा मुक्त कराने के प्रयास को आज उस वक्त बड़ा झटका लगा जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी शराबी का दिमाग ठीक है तो उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन नशा मुक्ति केंद्र भेजना अवैध निरूद्धि होगी।
न्यायालय ने याची को स्वतंत्र कर दिया है और कहा कि वह जहां चाहे अपनी मर्जी से जाने की छूट दी है।
न्यायालय ने मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि मुजप्फरनगर के जीवन रक्षक ड्रग डे एडिक्शन एण्ड रिहैबिलिटेशन सेन्टर और जिसने केन्द्र में जबरन भर्ती कराया उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। साथ ही यह भी सुनिश्चित याची को भविष्य में कोई नुकसान न पहुंचाने पाये।
न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने अंकुर कुमार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।
गौरतलब है कि याची को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया। जिसे अवैध निरूद्धि करार देते हुए रिहाई के लिए याचिका दाखिल की गयी । न्यायालय ने याची को पेश करने का निर्देश दिया। दरोगा कपिल कुमार ने नशा मुक्ति केंद्र मुजफ्फरनगर से लाकर याची को पेश किया। 29 वर्षीय के अंकुर कुमार ने न्यायालय को बताया कि उसे उसके मामा बीरेन्द्र सिंह ने कई लोगों के साथ आकर जबरन गाडी में बैठाकर नशा मुक्ति केंद्र मे मर्जी के खिलाफ भर्ती करा दिया है।
विपक्षी अधिवक्ता का कहना था कि मामा ने नही मां ने भर्ती कराया है। केन्द्र के 21अक्टूबर के पत्र से स्पष्ट है। किन्तु न्यायालय ने इस तर्क को नही माना और कहा कि मामा ने जबरन केन्द्र में भर्ती कराया। अवैध निरूद्धि के दोषी हैं।
न्यायालय ने याची को स्वतंत्र कर दिया है।
सं विनोद
वार्ता
सं दिनेश
वार्ता
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