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एसटीएफ ने किए कानपुर से दो तस्कर गिरफ्तार,1300 कछुए बरामद

कानपुर, 06 जनवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेश टास्क फोर्स(एसटीएफ) ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कछुआ की तस्करी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को आज कानपुर के चकेरी इलाके से गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 1300 जीवित कछुए बरामद किए गये। इनकी कीमत लाखों रुपये आंकी गई है।
एसटीएफ प्रवक्ता ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कानपुर रेंज के जिलों से कछुओं की बड़े पैमाने में तस्करी करने की सूचना पर एसटीएफ की कानपुर फील्ड इकाइ को गिरोह को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसी क्रम में कानपुर फील्ड इलाके के उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में अभिसूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही थी। अभिसूचना संकलन के दौरान जानकारी मिली कि इटावा से बड़े स्तर पर विभिन्न प्रजातियों के कछुएं की तस्करी का की जा रही है। यह भी जानकारी हुयी कि ऐसे व्यापारी माल बेचने के लिये पश्चिमी बंगाल के व्यापारी के सम्पर्क में रहते है। जहाॅं से यह माॅल बाॅंग्लादेश एवं म्यामार के रास्ते चीन/हांगकांग/मलेशिया आदि देशों में भेजा जाता है।
उन्होंने बताया कि निरीक्षक शैलेन्द्र कुमार सिंह के नेतृत्व में टीम ने अत्यन्त परिश्रम से जमीनी सूचना एवं मुखबिर के माध्यम से सूचना मिली कि कुछ कछुआ तस्कर भारी मात्रा कछुओं की तस्करी के लिए इटावा/मैनपुरी व आस-पास के क्षेत्रों में स्थानीय तस्करों के साथ मिलकर तैयारी कर रहे है तथा कछुओं की सप्लाई करने कानपुर नगर होते हुये पश्चिमी बंगाल एक कन्टेनर से जाने वाले है। सूचना पर वन विभाग की टीम को साथ लेकर एसटीएफ की टीम आज करीब सवार 12 बजे कानपुर के चकेरी इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग-19 पर उस वाहन को रोककर चेकिंग की गयी तो उसके अन्दर 1300 जीवित कछुए बरामद किए गये। मौके से वाहन पर सवार दो तस्करों मैनुपरी निवासी विनोद कुमार सविता और रामब्रेश यादव को गिरफ्तार कर लिया। इस सिलसिले में विधिक कार्रवाई की जा रही है।
गौतरलब है कि वन्य जीव अपराध नियन्त्रण ब्यूरो की पहल पर एसटीएफ ने पिछले कई वर्ष से कछुओं की तस्करी पर प्रभारी कार्रवाई कर रही है। भारत में कछुआ की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश के में पायीं जाती है। इनमें 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुआ के माॅंस अथवा पालने के अलावा इनकी की कैलपी (छिल्ली) को सुखाकर शक्ति वर्धक दवा के लिये किया जाता है। कछुआ को साफ्ट सेल (मुलायम कवच) तथा हार्ड सेल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यमुना/चम्बल/गंगा/गोमती/घाघरा आदि नदियों उनकी सहायक नदियों/तालाबों आदि में यह दोनों प्रकार के कछुए बहुतायत में पाये जाते है।
त्यागी
वार्ता
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