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लुप्त होती जा रही है हैंडनाटेड पर्शियन कालीन

भदोही, 27 मई (वार्ता) हैंडनाटेड पर्शियन कालीनों के कारण विश्व बाजार में कभी अनूठी पहचान कायम रखने वाले भदोही में कालीन की यह किस्म लुप्त प्राय: होती जा रही है।
कालीन परिक्षेत्र मीरजापुर-भदोही हैंड नाटेड कालीनों के चलते कभी कालीन के ग्लोबल मार्केटिंग का केंद्र माना जाता रहा है। यहां के कुशल कारीगरों व हस्तशिल्पियों के हुनर का पूरी दुनिया लोहा मानती रही है। बताया जाता है कि 60 से 70 फीसद तक नाटेड पर्शियन कालीनों का शत-प्रतिशत निर्माण भदोही में ही होता था। एक दौर हुआ करता था जब शहर से लेकर गांव की गलियों तक दिन-रात रूमों के खटर पटर की आवाज सुनाई देती थी और पुरुषों के साथ महिलायें भी कंधे से कंधा मिला कर हैंडनाटेड कालीनों के निर्माण से जुड़कर गृहस्थी की आर्थिक रीढ़ को सवांरने में जुटी होती थी। पुरुष वर्ग खेती-बाड़ी के काम के साथ कालीनों की बुनाई में समय व्यतीत करता था, वहीं महिलाएं काती खोलने से लेकर कालीन के अन्य कार्यों में हाथ बंटाया करती थी।
बदलते परिवेश में कालीन की नई नई वैरायटीज बाजार में पांव पसारती गई, जो सस्ती होने के साथ आकर्षक व मन लुभावनी होती हैं। यूज एंड थ्रो के इस दौर में विदेशी वायर महंगी हैंडनाटेड कालीनों की जगह सस्ती कालीनों की तरफ तेजी से आकर्षित होने लगे, जिसके परिणाम स्वरूप कारोबार की दशा व दिशा पूरी तरह बदल गई।
हैंडनाटेड कालीनों के निर्माण में श्रम व समय अधिक लगने के बावजूद मजबूरी का दायरा नहीं बढ़ सका। दिन रात कड़ी मेहनत के बाद मजदूरी के नाम पर भुगतान के समय वही ढांक के तीन पात जैसी स्थिति बन जाती, फिर क्या था धीरे-धीरे हैंड नाटेड कालीनों से बुनकरों का मोहभंग होता गया और बुनकर इससे दूर हटते गए। परिणाम स्वरूप कुशल कारीगरों का अभाव हो गया। बुनकर मजदूरों की कमीं को देखते हुए कारोबारियों ने हरदोई व शाहजहांपुर जैसे उन जिलों को चुना जहां गरीबी व बेरोजगारी जैसी समस्या सिर चढ़कर बोल रही थी।
इन जिलों में सस्ते बुनकर व कारीगर मिलने से कारोबार ने तेजी से पांव पसार लिया जिसके परिणाम स्वरूप जहां कभी भदोही में शत-प्रतिशत हैंड नाटेड कालीन बनते थे आज यहां यह काम सिमटकर 25 से 30 फीसद पर आकर सिमट गया है। कालीन निर्माण से जुड़े व्यवसाइयों का मानना है कि नाटेड कालीनों के बुनकर मजदूरों को सरकार ने विशेष राहत पैकेज न दिया तो हैंडनाटेड कालीनों का कारोबार भदोही-मीरजापुर सहित पूर्वांचल के तमाम जनपदों से पूरी तरह सिमट कर रह जाएगा।
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के वरिष्ठ सदस्य उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि अगर सरकार को हैंड नाटेड कालीन को भदोही में बनाए रखना है तो विशेष राहत पैकेज के बिना स्थिति में सुधार नहीं हो सकता।
सं प्रदीप
वार्ता
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