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रेवती रमण सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की सुगबुगाहट हुई तेज

प्रयागराज,23 मार्च (वार्ता) प्रयागराज के करछना विधानसभा से आठ बार के विधायक और इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद और एक बार के राज्यसभा सदस्य रह चुके कुंवर रेवती रमण सिंह की शनिवार को कांग्रेस के दो नेताओं से हुई औपचारिक मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारे में उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाओं का बाजार गर्म है।
सूत्रों ने बताया कि श्री सिंह पीजीआई में उपचार करा रहे हैं। आज उनसे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी अविनाश पाण्डेय और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अस्पताल पहुंचकर औपचारिक मुलाकात कर उनका कुशल क्षेम पूछा। चुनावी दौर में इस मुलाकात के कोई राजनीतिक निहितार्थ भी हैं या नहीं यह भविष्य के गर्त में छिपा है।
सूत्रों ने बताया कि दोनों की मुलाकात से राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट तेज हो गयी है। कयास लगाए जा रहे हैं श्री सिंह कांग्रेस से हाथ मिला सकते है, इसमें कोई आशचर्य वाली बात नहीं है। कांग्रेस भी 1984 के बाद इस सीट से जीत के स्वाद के लिए तरस रही है और श्री सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कड़ी टक्कर देने में सक्षम है। चुनाव के दौरान दिग्गज नेताओं के लिए तमाम राजनीतिक दलों के दरवाजे खुले रहते है। पार्टिंयां कद्दावर नेता को अपनी पार्टी को जिताऊ मानते हुए टिकट देना पसंद करती हैं।
श्री सिंह करछना विधानसभा से आठ बार के विधायक और इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद और एक बार के राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी दल के नेता के किसी दूसरे दल के नेता से मुलाकात के तमाम प्रकार के कयास लगाए जाते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। उनका मानना है कि यदि लंबे समय तक पार्टी को अपना बहुमूल्य समय देने के बाद भी अगर उसे पार्टी में तवज्जों नहीं मिलता तो दु:ख तो होता ही है।
उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस श्री सिंह से हाथ मिलाती है तो 2024 लोकसभा चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी को कड़ा टक्कर दे सकते हैं। श्री सिंह की अभी तक की राजनीतिक पकड़ उनकी जनता में मजबूती को दर्शाती है। वह इलाहाबाद सीट से 2004 और दो 2009 में सपा के मजबूत प्रत्याशी थे, और उन्होंने दोनो बार यह सीट जीतकर सपा को दे चुके है। वर्ष 1984 के बाद यह सीट कांग्रस यहां से जीत के लिए तरस रही है। फूलपुर और इलाहाबाद सीट पर भाजपा का कब्जा है।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि पिछले दिनो समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव यहां आए थे लेकिन उन्होंने अपने वरिष्ठ और कद्दावर नेता से मुलाकात करना उचित नहीं समझा जिससे दोनो के बीच बढ़ती दूरियां और कांग्रेस नेताओं से मुलाकात को एक अच्छा शगुन बता रहे हैं। फूलपुर की सीट गठबंधन में सपा के पाले में चली गयी है और कांग्रेस के पास प्रयागराज (इलाहाबाद)संसदीय सीट है जिसके लिए उसे जिताऊ प्रत्याशी की तलाश है। अभी तक फूलपुर और प्रयागराज संसदीय सीट पर किसी भी दल ने अपने प्रत्याशियों के पत्ते नहीं खोले हैं। सभी एक दूसरे के प्रत्याशियों के बाद अपने जिताऊ प्रत्याशी के नाम की घोषणा करना चाहते हैं।
दिनेश, सोनिया
वार्ता
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