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इटावा की इकलौती महिला सांसद सुखदा की 18 साल की तपस्या लायी थी रंग

इटावा, 2 अप्रैल (वार्ता) इटावा संसदीय सीट से एकमात्र महिला सांसद बनी सुखदा मिश्रा ने 1980 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में सांसद बनने का सपना देखा था जो 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के अल्प कार्यकाल में पूरा हुआ था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुखदा मिश्रा के बगैर इटावा में राजनीति की पटकथा कभी पूरी नहीं हो सकती। कभी दीदी से होते हुए अब बुआ के रूप में लोकप्रिय सुखदा के राजनीतिक जीवन के बारे में वरिष्ठ पत्रकार वीरेश मिश्रा बताते है कि सुखदा मिश्रा इटावा की एकमात्र ऐसी महिला नेत्री हैं,जो विधानसभा और लोकसभा तक पहुंची। 80 के दशक में जिले की राजनीति का केंद्र बिंदु रही सुखदा मिश्रा पहली बार अटल बिहारी बाजपेई की 13 महीने की सरकार के दौरान लोकसभा में इटावा की एमपी चुनकर पहुंची। इससे पहले कोई महिला सांसद नहीं चुनी गई। यह गौरव उन्हें ही हासिल हुआ। जिले में आज भी उनका दलगत राजनीति से हटकर लोग सम्मान करते हैं,उनके प्रति श्रद्धा रखते हैं। एक मायने में देखा जाय तो वे तीन पीढ़ियों की सम्मानित नेता हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के ज़िला कार्यकारी अध्यक्ष रिजवान अहमद ने कहर “ सुखदा जी का इटावा से आत्मीय लगाव है। 1974 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरू करने के बाद वे आज तक लोगो से जुड़ाव बनाए हुई है। छोटी बहन,बुआ, मौसी ओर मां जैसे नामों से उनको इटावा के लोग पुकारने में गर्व का एहसाह करते है। कोई भी चुनाव हो उनकी उपस्थित हर किसी को ऊर्जावान कर देती है।”
असल में बंसीलाल जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे तब 1974 में सुखदा को इटावा सदर विधान सभा से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पहली दफा चुनाव मैदान में उतारा जिसमे उनको जीत हासिल हुई, फिर उनकी कामयाबी का रास्ता लगातार बढ़ता ही चला गया। इस टिकट के पीछे ऐसा कहा जाता है कि उनके पति एसके मिश्रा मुख्यमंत्री बंसीलाल के सचिव थे जिस कारण सुखदा मिश्रा को कांग्रेस पार्टी का टिकट इटावा सदर विधानसभा से दिया गया।
इटावा की इकलौती महिला सांसद श्रीमती सुखदा के लिए उनकी ताकत उनके पति एसके मिश्रा है। एसके मिश्रा का एक नौकरशाह के रूप में एक विशिष्ट ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। उनके पति हरियाणा कैडर के एक आईएएस,पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर और हरियाणा के मुख्यमंत्री बंसीलाल के सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। एसके मिश्र को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
समाजवादी गढ़ के रूप में सारे देश भर में पहचानी जाने वाली इटावा संसदीय सीट पर साल 1998 में सुखदा ने पहली दफा भगवा फहराने में कामयाबी पाई। कभी कांग्रेस की नेत्री के रूप में अपनी राजनीति शुरू करने वाली श्रीमती सुखदा जनता दल,समाजवादी पार्टी और बसपा होते हुए भाजपा में आने के बाद सांसद निर्वाचित हुई।
सुखदा सवर्णो की बड़ी नेता मानी जाती है,उन्होंने इटावा की राजनीति में एक नया आयाम स्थापित किया है। कभी कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाली मिश्रा जनता दल के जरिये नेता जी मुलायम की खास तो रही ही है,1998 मे भाजपा से इटावा संसदीय सीट से संसद बन कर वो भाजपा के बड़े नेताओ के भी करीब है ।
सुखदा ने राजनीति की शुरुआत 1974 में कांग्रेस से इटावा विधानसभा का चुनाव जीत के साथ किया । सुखदा 26187 ने अपने विरोधी जनसंधी भुवनेश भूषण शर्मा 15720 को पराजित किया। भले ही सुखदा 1980 मे लोकसभा के चुनाव मे हार गई हो लेकिन काग्रेंस उन पर विधानसभा चुनाव के लिए अपना भरोसा लगातार जताती रही है । इसी कारण 1986 मे नारायण दत्त तिवारी सरकार मे उर्जा मंत्री बनने मे सफल रही लेकिन 1989 मे जनता दल की लहर मे सुखदा ने पाला बदल करके चुनाव लडा तो फिर जीत हासिल करके मुलायम सरकार मे नगर विकास मंत्रालय हासिल कर लिया।
1996 में भाजपा का दामन और लगातार तीन लोकसभा चुनाव लड़ा। 1996 में हारने के बाद,1998 में जीत मिली और 1999 में फिर से पराजय मिली। 2009 में भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल हुईं सुखदा मिश्रा ने कानपुर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन कामयाबी ना मिलने पर फिर से भाजपा में शामिल हो गई।
सुखदा मिश्रा ने 1980 मे पहली बार लोकसभा का चुनाव लडने की हिम्मत दिखा पुरुष राजनेताओं को चुनौती दी, आजादी के बाद 1980 मे पहली बार कोई महिला संसद सदस्य के चुनाव के लिए मैदान मे उतरी ।
1980 के चुनाव मे सुखदा एक मात्र ऐसी महिला थी जो चुनाव मैदान मे उतरी थी। उनको मुलायम के साथी रामसिंह शाक्य ने पराजित किया। सुखदा को 111319 वोट मिले थे। सुखदा ने 1980 मे किसी महिला के तौर पर पहली बार लोकसभा चुनाव मे उतरने की हिम्मत जताई लेकिन कामयाबी नही मिली। फिर 1996 मे भाजपा लहर मे लोकसभा मे जाने के लिए उतरी सुखदा को 171282 वोट लेकिन समाजवादी पार्टी के रामसिंह शाक्य से 182015 मतो के मुकाबले पराजय हासिल हुई है।
1998 मे समाजवादी गढ की इस इटावा सीट से सुखदा को भाजपा ने लोकसभा का टिकट दिया जिसमे उन्हें जीत हासिल हुई। सुखदा को 259980 वोट मिले । सपा के राम सिंह शाक्य को 228942 वोट मिले । इस प्रकार सुखदा 31038 मतो से विजई रही।
1998 के चुनाव में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई इटावा के राजकीय इंटर कॉलेज में सुखदा के पक्ष में जनसभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे । अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी वाकपटुता से सुखदा के पक्ष में ऐसे प्रचार किया जिसका समाजवादी गढ़ इटावा में व्यापक असर हुआ और पहली दफा सुखदा के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने विजय पाई ।
सं प्रदीप
वार्ता
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