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देश की गौरवशाली गाथा का परिचायक है सांस्कृतिक कुंभ

देश की गौरवशाली गाथा का परिचायक है सांस्कृतिक कुंभ

कुंभनगर 01 फरवरी (वार्ता) संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित सांस्कृतिक कुम्भ देश विदेश से आये श्रद्धालुओं को भारत की वैभवशाली संस्कृति से परिचय कराने में अहम भूमिका निभा रहा है।


      केन्द्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा इलाहाबाद संग्रहालय,गाँधी समृति एवं दर्शन समिति, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र और टांईफेड के सम्मिलित प्रयासों से प्रयागराज में चल रहे भव्य एवं दिव्य कुम्भ में सांस्कृतिक कुम्भ का आयोजन किया जा रहा है जिसके समन्वयन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नोडल एजेंसी के रूप में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र को दी गयी है।



     अरैल क्षेत्र में सेक्टर 19 में स्थित कलाग्राम में दर्शकों को भारत की संस्कृति के विविध आयामों से परिचय एवं आत्मभूति करवाने के उद्देश्य से 13 पवैलियन बनाये गये हैं जिनमें देश के सातों क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों और टांईफेड से आये लगभग 250 शिल्पकार अपनी हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपने हस्तशिल्पों की बिक्री के साथ ही दर्शकों को उन्हें बनाने की पारम्परिक से भी रूबरू करा रहे हैं जो दर्शकों को रोमांचित कर रहा है।

      इलाहाबाद संग्रहालय, गाँधी समृति एवं दर्शन समिति, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी एवं इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के पवैलियन में भारत की सांस्कृतिक धरोहर की झाँकी देखने को मिल रही है। शिल्पकारों के अलावा कलाग्राम में पारम्परिक व्यंजनों की भी स्टाल्स लगी हुई हैं जहां देशभर के लाजवाब व्यंजनों को चखने का अवसर सैलानियो को मिल रहा है।

कलाग्राम परिसर में मंचीय कलाकारों ने लोक एवं जनजातीय धुनों से गुलजार बना रखा है। वे अपने लोक एवं जनजातीय नृत्य की प्रस्तुतियों से कलाग्राम परिसर में उपस्थित समस्त दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। श्रद्धालुओं के साथ टेन्ट सिटी में ठहरे सैलानियों ने कलाग्राम में चल रहे विविध सांस्कृतिक गतिविधियों को देखा और भारत की माटी के रंगों को देख प्रफुल्लित हुए। उन्हें प्रयागराज में देश भर से आये हस्तशिल्प जहाँ देखने को मिले वहीं देश के विभिन्न प्रान्तों से आये विभिन्न व्यंजन चखने का भी सुअवसर प्राप्त हुआ ।

     कलाग्राम स्थित दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर के पवेलियन में मध्य प्रदेश के शिल्पकार अजीज़ अल

अन्सारी की विश्व प्रसिद्ध चन्देरी साड़ियों को खरीदने की होड़ मची रही। सांस्कृतिक केंद्र में मध्य प्रदेश का गणगौर लोक नृत्य, छत्तीसगढ़ का पंडवानी गायन सोमप्रिया पूजा एवं दल द्वारा, आंध्र प्रदेश का बोनालु लोक नृत्य आर०डी० विश्वकर्मा एवं दल द्वारा, कर्नाटक का ढोल्लू कुनीथा लोक नृत्य रवि कुमार एवं दल द्वारा और महाराष्ट्र का भारुड़ लोक नृत्य निरंजन भाकरे द्वारा प्रस्तुत किया गया।

      दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर के निदेशक डॉ दीपक किरवाड़कर ने बताया कि “माँ गंगा की रेती पर आयोजित हो रहा यह सांस्कृतिक कुम्भ कहीं न कहीं मन में एक अलौकिक छवि उभर कर आती है। सभी कलाकार इस दिव्य और भव्य कुम्भ में प्रतिभाग कर काफी उत्साहित हैं और हम सभी के साथ वो भी संगम में डुबकी लगा कर आनंदित और प्रफुल्लित महसूस कर रहे हैं। ”

सं प्रदीप

वार्ता

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