दुनियाPosted at: Jul 28 2018 10:37PM इमरान खान ने सरकार बनाने के लिए छोटी पार्टियाें और निर्दलीयों से संपर्क साधना शुरू किया
इस्लामाबाद, 28 जुलाई(वार्ता) पाकिस्तान के अगले संभावित प्रधानमंत्री इमरान खान ने सरकार बनाने के लिए छाेटे राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीअाई) के प्रवक्ता ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पार्टी प्रवक्ता फैजल जावेद खान ने बताया“ पार्टी प्रमुख इमरान खान और अन्य नेताओं ने कम से कम एक छोटी पार्टी अौर निर्दलीय उम्मीवारों से बातचीत शुरू कर दी है। प्रवक्ता ने बताया कि नेशनल असेम्बली में पार्टी के विजयी प्रत्याशियों की संख्या काफी अच्छी है अौर मुत्ताहिदा काैमी मूवमेंट(एमक्यूएम) से भी बातचीत जारी है।
उन्होंने बताया कि इमरान खान के 14 अगस्त पाकिस्तान स्थापना दिवस के मौके पर शपथ लेने की उम्मीद है और उनकी पार्टी सबसे अाबादी वाले प्रांत पंजाब में भी सरकार बनाएगी तथा इस मामले में रविवार तक अच्छी खुशखबरी मिल जाएगी।
गौरतलब है कि इमरान खान की पार्टी को 116 सीटेंं मिली हैं अौर बड़े दल के रूप में उभरी इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने आवश्यक बहुमत जुटाने के लिए छोटे दलों और निर्दलीयों से समर्थन जुटाने की कवायद शुरू कर दी है।
क्रिकेटर से राजनेता बने श्री खान की पार्टी 272 सदस्यीय नेशनल असेंबली के चुनाव में 116 सीटें हासिल कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है लेकिन सरकार बनाने के लिए 137 के बहुमत के जादुई आंकड़े से 21 सीटें पीछे रह गयी है।
नेशनल एसेंबली में कुल 342 सीटें हैं जिनमें से 272 पर चुनाव होते हैं। साठ सीटें महिलाओं के लिए और 10 अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। पच्चीस जुलाई को हुए मतदान में दो सीटों पर चुनाव नहीं हुए।
श्री खान की पार्टी को एक करोड़ साठ लाख 86 हजार से अधिक वोट हासिल हुए हैं जबकि पूर्व प्रधानमंत्री और जेल में बंद नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन एक करोड़ 20 लाख 89 हजार वोट मिले और वह दूसरे नंबर पर रही। नवाज शरीफ की पार्टी को 64 सीटें मिलीं। पीपीपी को 43 सीटें मिली हैं।
श्री खान को आवश्यक बहुमत जुटाने के लिए छोटे दलों और निर्दलीयों का इसलिए सहारा लेना होगा क्योंकि दूसरे नंबर पर रहने वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और तीसरे नंबर पर रहने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अलावा कई अन्य छोटे राजनीतिक दल चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली और सेना के हस्तक्षेप का आरोप लगाकर कड़ा विरोध जता रहे हैं।
जितेन्द्र
वार्ता