Friday, Apr 26 2024 | Time 17:47 Hrs(IST)
image
पार्लियामेंट


विपक्ष के विरोध के बीच श्रमिक कल्याण संबंधी दो विधेयक लोकसभा में पेश

विपक्ष के विरोध के बीच श्रमिक कल्याण संबंधी दो विधेयक लोकसभा में पेश

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (वार्ता) श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर अच्छा माहौल, मजदूरी तथा बोनस जैसी कई सुविधाओं को ज्यादा बेहतर बनाने के प्रावधान वाले ‘मजदूरी संहिता 2019’ तथा ‘कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2019’ विधेयक विपक्ष के कड़े विरोध के बीच मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया।

अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल के बाद विधेयक पेश करने के लिए जैसे ही श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार का नाम पुकारा तो विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को पेश नहीं करने का सरकार से अनुरोध करना शुरू कर दिया और कहा कि विधेयक आधे अधूरे हैं। इनमें और ज्यादा प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है इसलिए सरकार को कार्यसूची में दर्ज दोनों विधेयकों को पेश नहीं करना चाहिए।

श्री गंगवार ने सदस्यों से कहा कि विधेयक द्वितीय राष्ट्रीय श्रम आयोग की जून 2002 की सिफारिशों के आधार पर तैयार किए गए हैं और इनमें श्रमिकों के कल्याण की सभी सुविधाओं पर पर्याप्त ध्यान रखा गया है। विधेयक में पांच साल तक विचार विमर्श किया गया और उसके बाद इसे तैयार कर सदन में पेश किया जा रहा है। इसको तैयार करते समय 13 श्रमिक संगठनों, राज्य सरकारों तथा उद्योगपतियों से विचार विमर्श किया गया है। विधेयक संसद की समिति के पास भी भेजा गया था और उसकी सिफारिशों को भी विधेयक में शामिल किया गया है।

सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पिछली बार विधेयक को चर्चा के लिए पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि इसमें बहुत खामियां हैं इसलिए विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को तैयार करने में हित धारक को विश्वास में लिया जाना चाहिए।

रिवोलेशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि विधेयकों में बहुत कमियां हैं इसलिए इन्हें स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि यह विधेयक श्रमिकों की मूल दशा को प्रभावित करने वाला है। विधेयक देश के करोड़ों श्रमिकों से जुड़ा है और उनके असंख्य परिवार इससे प्रभाावित होंगे इसलिए यह विधेयक स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने स्थायी समिति तथा राष्ट्रीय आयोग को भेजे बिना यह विधेयक तैयार किया है।

उन्होंने कहा कि विधेयक में बहुत खामियां हैं इसलिए यह श्रमिकों की सुविधाओं को नहीं साध पाएगा। विधेयकों को जिस तरह से तैयार किया गया है उससे साफ है कि यह विधेयक श्रमिकों नहीं बल्कि मालिकों के हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक 2002 में श्रमिक आयोग द्वारा दी गयी सिफारिशों पर आधारित है इसलिए इसको सदन में पेश करने का कोई औचित्य नहीं है।

अभिनव आजाद

वार्ता

There is no row at position 0.
image