नयी दिल्ली, 24 जुलाई (वार्ता) देश में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा की घटनाओं के बीच निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता की नींव बताते हुए समाज को शारीरिक तथा मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करने की जरूरत बतायी है. श्री मुखर्जी ने पदमुक्त होने से पहले राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए सहिष्णुता और अहिंसा की शक्ति को पुनर्जागृत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “प्रतिदिन हम अपने आसपास बढ़ती हुई हिंसा देखते हैं। इस हिंसा की जड़ में अज्ञानता, भय और अविश्वास है। हमें अपने जनसंवाद को शारीरिक और मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा।” राष्ट्रपति ने कहा कि सभी प्रकार की हिंसा से मुक्त समाज ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों के सभी वर्गों, विशेषकर पिछड़ों और वंचितों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है। उन्होंने कहा, “हमें एक सहानुभूतिपूर्ण और जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए अहिंसा की शक्ति को पुनर्जागृत करना होगा।” संस्कृति, पंथ और भाषा की विविधता को भारत की विशेषता करार देते हुए उन्होंने कहा, “हमें सहिष्णुता से शक्ति प्राप्त होती है। यह सदियों से हमारी सामूहिक चेतना का अंग रही है।’’ जनसंवाद के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “हम बहस मुबाहिशा कर सकते हैं, हम किसी से सहमत हो भी सकते हैं और नहीं भी, लेकिन हम विविध विचारों की आवश्यक मौजूदगी को नहीं नकार सकते, अन्यथा हमारी विचार प्रक्रिया का मूल स्वरूप ही नष्ट हो जायेगा।” सुरेश उनियाल जारी वार्ता