नयी दिल्ली, 16 जनवरी (वार्ता) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि दिल्ली की जनता तानाशाही सहन नहीं करेगी और उपराज्यपाल वीके सक्सेना को संविधान और उच्चतम न्यायालय के आदेश मानने ही पड़ेंगे।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग पर फिनलैंड भेजने से उपराज्यपाल द्वारा रोके जाने के विरोध में आज श्री केजरीवाल के नेतृत्व में सभी मंत्रियों और विधायकों ने विधानसभा से राजनिवास तक पैदल मार्च किया। मुख्यमंत्री करीब एक घंटे तक अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ उपराज्यपाल से मिलने का इंतजार करते रहे लेकिन उनकी मुलाक़ात नहीं हुई। इस दौरान श्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता तानाशाही सहन नहीं करेगी। दिल्ली लोकतंत्र से चलेगी। उपराज्यपाल को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानने ही पड़ेंगे। दिल्ली को तानाशाही नहीं, बल्कि संविधान और जनतंत्र चाहिए। जनता के हक़ के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों-विधायकों से मिलने से इनकार कर दिया।
दिल्ली विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र की आज से शुरुआत हुई, लेकिन हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया। विधानसभा सत्र स्थगित होने के बाद मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सभी मंत्रियों और विधायकों ने विधानसभा से राजनिवास तक पैदल मार्च किया। सभी के हाथ में ‘एलजी साहब शिक्षकों को फिनलैंड जाने दो’ लिखी तख्तियां थी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ उच्चतम न्यायालय ने चार जुलाई 2018 को कहा था कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है फिर वह शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड जाने से क्यों रोक रहे हैं। अगर इस देश का कोई उपराज्यपाल या राज्यपाल यह कहेगा कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता तो, फिर इस देश के अंदर ना जनतंत्र बचेगा और ना संविधान बचेगा।” उन्होंने कहा कि दिल्ली के दो करोड़ लोगों ने वोट डालकर अपने मुख्यमंत्री को चुना है और 70 में से 62 सीट दी है। अगर वह मुख्यमंत्री अपने शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड नहीं भेज सकता तो फिर ऐसे चुनाव और जनतंत्र का क्या फायदा है।
उन्होंने कहा कि इन दिनों उपराज्यपाल ने दिल्ली के बहुत सारे काम रोक रखे हैं। उन्होंने दिल्ली में योगा क्लास रोक दी। उपराज्यपाल ने अफसरों को बोलकर सारे मोहल्ला क्लीनिक के सभी भुगतान रुकवा दिए। दवाइयां, टेस्ट, डॉक्टरों की तनख्वाह, मोहल्ला क्लीनिक का रेंट और मोहल्ला क्लीनिक के बिजली का बिल रूकवा दिया। इस बार उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड की सारी पेमेंट रूकवा दी।
वहीं, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे। सरकार पहले भी एक हजार से ज्यादा शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेज चुकी है। अब उपराज्यपाल कह रहे हैं कि देश में ही कहीं प्रशिक्षण करवा लें।। उन्होंने कहा कि संविधान में उपराज्यपाल के पास कोई शक्ति नहीं है। संविधान की व्याख्या जो उच्चतम न्यायालय ने की है, उसमें साफ लिखा है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार निर्णय लेगी।
आज़ाद, यामिनी
वार्ता