गांधीनगर, 05 अप्रैल (वार्ता) भारत में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन एवं मुम्बई स्थित कॉन्स्युलेट जनरल पॉल मर्फी ने शुक्रवार को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत से गांधीनगर राजभवन में शुभेच्छा मुलाकात की।
श्री फिलिप ग्रीन भारत में छह माह से सेवारत हैं और पांचवीं बार गुजरात आये हैं। श्री देवव्रत के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि गांधीनगर के गिफ्ट सिटी में यूनिवर्सिटी शुरू करने वाला आस्ट्रेलिया पहला देश है और यहां 300 विद्यार्थियों की प्रथम बैच का शिक्षण कार्य आरम्भ भी हो रहा है। आस्ट्रेलिया ग्रीन एनर्जी और रिन्युएबल एनर्जी के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास कर रहा है। गुजरात के साथ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिये भी आस्ट्रेलिया तत्पर है।
आस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में वर्ष 2032 में ऑलम्पिक आयोजित होगा, जबकि भारत ने गुजरात में वर्ष 2036 में ऑलम्पिक्स के आयोजन की दावेदारी पेश की है। उन्होंने भविष्य में ओलम्पिक्स को लेकर भी भारत-आस्ट्रेलिया के बीच विशेष आदान-प्रदान की सम्भावना व्यक्त की। भारत की परम्परागत वैदिक चिकित्सा पद्धति और आयुर्वेद का दायरा आस्ट्रेलिया में बढ़ाने की सम्भावना के बारे में भी विचार-विमर्श किया। कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के विकास में अग्रसर आस्ट्रेलिया ने कृषि विकास में भी अपनी निपुणता का
लाभ प्रदान करने की तत्परता जतायी।
राज्यपाल ने श्री फिलिप ग्रीन एवं श्री पॉल मर्फी का गुजरात में स्वागत किया और गुजरात
के प्रति उनकी विशेष भावना के लिये आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गुजरात में आस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी की शुरुआत से दोनों देशों के विद्यार्थियों का भविष्य ज्यादा उज्जवल बनेगा। समग्र विश्व ग्लोबल वार्मिंग के गम्भीर परिणाम भुगत रहा है। इसका उल्लेख करते
हुये उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के लिये 24 फीसदी जिम्मेदार रासायनिक खेती पद्धति और कीटनाशक दवाइयां हैं। प्राकृतिक कृषि पद्धति पर्यावरणीय चुनौतियों और मानव स्वास्थ्य की समस्याओं का एकमात्र निराकरण है। गुजरात और भारत के किसान ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। आस्ट्रेलिया को भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिये। उन्होंने प्राकृतिक कृषि पद्धति की विस्तृत जानकारी और शिक्षण प्रदान करने वाली स्वलिखित पुस्तक दोनों महानुभावों को अर्पण की।
आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त श्री ग्रीन ने कहा कि आस्ट्रेलिया में काफी भारतीय बसे हैं, जिनमें 80,000 से ज्यादा गुजराती हैं। भारतीय मूल के आस्ट्रेलिया में स्थायी रूप से बसे लोग तेजी से प्रगति कर रहे हैं। इतना ही नहीं, आस्ट्रेलिया के विकास में भी वह उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।
श्री आचार्य देवव्रत ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् की विभावना में विश्वास करने वाले भारत और आस्ट्रेलिया के मैत्रीपूर्ण संबंध सुखदायी और समग्र विश्व के लिए प्रेरणादायी हैं। एक-दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ेंगे तो उसका लाभ समग्र विश्व को मिलेगा।
अनिल.श्रवण
वार्ता