नयी दिल्ली, 06 मई (वार्ता) देश की सर्वोच्च अदालत उच्चतम न्यायालय राजनेताओं को राष्ट्रीय खेल महासंघों के प्रमुख के पद पर रखने के सख्त खिलाफ है लेकिन भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र ध्रुव बत्रा का मानना है कि राजनेताओं को इन पदों पर रखने में कोई बुराई नहीं है बल्कि इससे खेलों का भला ही होता है।
भारतीय खेलों में पिछले काफी समय से यह मांग की जा रही है कि खेल फेडरेशनों के शीर्ष पदों पर राजनीतिज्ञों को नहीं खिलाड़ियों को होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था कि खेल महासंघों के शीर्ष पदों पर बैठे राजनेता खेलों का नुकसान कर रहे हैं और अब समय आ गया है कि इन्हे हटाकर खिलाड़ियों को इन पदों पर बैठाया जाए।
आईओए के अध्यक्ष ने यह बात कहकर एक विवाद खड़ा कर दिया है कि राजनेताओं की फेडरेशनों के प्रमुख पदों पर मौजूदगी खेलों के लिए अच्छी है। बत्रा ने यहां एक कार्यक्रम में गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के तीसरे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा, “मैं इस बात से कतई सहमत नहीं कि राजनेताओं को खेल प्रशासन से दूर रखा जाए।”
बत्रा ने कहा, “गोल्ड कोस्ट में भारत के 66 पदकों में से जीते गए 60 पदक उन खेल महासंघों के खिलाड़ियों द्वारा जीते गए हैं जिनके अध्यक्ष राजनीतिज्ञ हैं। बैडमिंटन, टेबल टेनिस, कुश्ती, भारोत्तोलन, निशानेबाजी ... ये सब वे फेडरेशन हैं जिनके प्रमुख राजनीतिज्ञ हैं जो देश को पदक दिला रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “राजनेताओं को फेडरेशन का प्रमुख बनाने में कोई बुराई नहीं बल्कि ये तो भारतीय खेलों के लिए अच्छे हैं। मैं राजनेताओं को खेल महासंघ के प्रमुख पदों पर रखने का विरोध करने वाले लोगों, वकीलों और एनजीओ से आग्रह करना चाहता हूं कि वे अब अपना मुंह बंद रखें।”
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