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संस्कृति एवं पर्यावरण की रक्षा एवं समाज में बढ़ाये भाईचारा-देवनानी

संस्कृति एवं पर्यावरण की रक्षा एवं समाज में बढ़ाये भाईचारा-देवनानी

जयपुर/लाडनूं 20 मार्च (वार्ता) राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने संस्कृति एवं पर्यावरण की रक्षा एवं समाज में भाईचारा बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा है कि भारत की बौद्धिकता पूरी दुनिया स्वीकार कर रही है और वह आज ऊंचाइयों को छू रहा है तथा विश्व में हर जगह भारतीयों का बोलबाला है।

श्री देवनानी बुधवार को यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के 34वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अकेले इंग्लैंड में 80 प्रतिशत डाॅक्टर भारतीय हैं। उन्होंने प्राचीन भारत के सात लाख गुरूकुलों, मध्य भारत के नालंदा, तक्षशिला आदि विश्वविद्यालयों में विश्वभर के लोगों द्वारा शिक्षा ग्रहण करने और आधुनिक भारत के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत पहले भी विश्वगुरू रहा था, आज भी विश्वगरू है और भविष्य में भी विश्वगुरू रहेगा।

देश की प्राचीन विरासत के स्मारकों का उल्लेख एवं भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान का महत्व बताते हुए श्री देवनानी ने कहा कि भारत युवाओें का देश है। सत्य, अहिंसा, दया, करूणा यहां लोगों के व्यवहार में है। भारत राष्ट्र वीरों का देश है जो बलिदान में पीछे नहीं रहते हैं। यहां कण-कण में शंकर है। यह मैत्रेयी, गार्गी आदि विदुषियों का देश है। रानी लक्ष्मी बाई जैसी वीरांगनाओं का देश है। यह मर्यादा पुरूषोत्तम राम का देश है। इन सबको पढेंगे तो गर्व होगा। हम इन चीजों से दूर हो गए और शिक्षा को केवल कमाने के लिए लेने लगे। महावीर, गौतम बुद्ध, आचार्य चाणक्य, आचार्य तुलसी के इस देश में उनको पढेंगे, तो पता चलेगा कि हमारा जन्म किसलिए हुआ है। हम कमा कर दुनियां से चले जाएं, केवल इसी लिए हमारा जन्म नहीं हुआ, बल्कि सनातन संस्कृति को जानने-अपनाने की जरूरत है।

श्री देवनानी ने सनातन संस्कृति और अध्यात्म को उत्कृष्ट बताते हुए कहा कि मूल्यों को महत्व देने वाली शिक्षा आवश्यक है। हमें जीवन का सही ज्ञान प्राप्त करना होगा और उस ज्ञान को अपने जीवन में उतारना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम वापस अध्यात्म की तरफ जा रहे हैं। आज समय की आवश्यकता है कि हम देश की संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करें। देश के संसाधनों की रक्षा करें और देश में भाईचारे का निर्माण करें। नैतिकता का विकास करें। नैतिकतापूर्ण जीवन बनाने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्हें पढाने के साथ ही संस्कार भी देने होते हैं और संस्कार तभी दिए जा सकते हैं, जब शिक्षक स्वयं भी उनके अनुकूल हो।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की विशेषताओं, प्रगति, गतिविधियों एवं भावी कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संस्थान ने आधारभूत संरचना में नेचुरोपैथी मेडिकल सेंटर के साथ ही अनेक कार्य किए जा रहे हैं। यहां छात्र हित के साथ मानव संसाधन विकास के लिए निरन्तर प्रयास किए जाते हैं। यहां पुरातन ज्ञान के सुदृढीकरण का काम किया जाता है। पांडुलिपि संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से काम हो रहा है। देश भर में यह अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है जहां प्राकृत भाषा के माध्यम से निरन्तर व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है।

समारोह के विशिष्ट अतिथि भारतीय कम्पनी सचिव संस्थान की पूर्वी भारत परिषद् के पूर्व अध्यक्ष विनोद कोठारी ने आचार्य तुलसी की परिकल्पना के अनुसार जीवन के लिए शिक्षा और आजीविका की आवश्यकता के बारे में बताया और कहा कि केवल आर्थिक पक्ष को लेना सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने ऋतु-परिवर्तन को मानव जाति के लिए बड़ा खतरा बताया।

जोरा

वार्ता

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