IndiaPosted at: Oct 23 2019 6:22PM दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों के बाशिंदों को मिलेगा मालिकाना हक
नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (वार्ता) अगले वर्ष होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को बड़ा फैसला करते हुए राजधानी की अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने का एलान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस निर्णय के फैसले की जानकारी संवाददाताओं को देते हुए शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि इससे अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले 40 लाख लोगों के सिर पर लटक रही तलवार हट गई और उन्हें मालिकाना अधिकार मिलने का रास्ता साफ हो गया ।
गौरतलब है कि दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों का मसला वर्षों से लटका हुआ है। केंद्र के इस फैसले को दिल्ली विधानसभा चुनाव के संदर्भ में देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)1998 में दिल्ली की सत्ता से हटी थी और उसके बाद से वह वापसी नहीं कर सकी है।
दिल्ली में 1797 अनधिकृत कालोनियां हैं और सरकार का यह फैसला उनके लिए दीपावली के उपहार के रुप में देखा जा रहा है।
श्री पुरी ने कहा कि अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को मालिकाना हक मिलने के उपरांत इन कालोनियों का विकास करने में आ रही सभी रुकावटें दूर हो जायेंगी और तेजी से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि मालिकाना हक देने के लिए बहुत की कम दर पर जमीन की रजिस्ट्री कराने की सुविधा दी जायेगी और जल्दी ही इस फैसले को अमल में लाया जायेगा।
शहरी विकास मत्री ने बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार इस संबंध में विधेयक लाकर पारित करायेगी । विधेयक के पारित हो जाने के बाद ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) इन कालोनियों के लिए काम करना शुरू करेगी।
मंत्रिमंडल की आज की बैठक में शहरी विकास तरफ मंत्रालय की तरफ से नोट रखा गया। यह नोट उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया था।
सरकार के अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के फैसले के बाद राजधानी की तीन संपन्न कालोनियों अनंत राम डेयरी, सैनिक फार्म और महेंद्रू एन्कलेव को लेकर सशंय बरकरार रहा है। श्री पुरी ने कहा है कि जंगलों बनी कालोनियों और संपन्न कालोनियों के संबंध में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।
श्री पुरी ने बताया कि इसके अलावा झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले चाहे वह निजी अथवा सरकारी जमीन पर रहते हैं हों उन्हें भी मालिकाना हक देने का निर्णय किया गया है। उन्होंने बताया कि देश की आजादी के समय दिल्ली की जनसंख्या आठ लाख थी लेकिन विभाजन के बाद यहां बड़ी संख्या में लोग आए। वर्तमान में राजधानी की जनसंख्या करीब दो करोड़ है । शहरी विकास मंत्री ने बताया कि झुग्गीवासियों को मालिकाना हक देने के लिए 2008 में अंतिम बार कोशिश की गई थी।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन के एजेंडा में अनधिकृत कालोनियां का मामला था।
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं में खुशी की लहर है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और चांदनी चौक से सांसद हर्ष वर्धन ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला वर्षों से लंबित था। सरकार के इस निर्णय से इन कालोनियों में रहने वाले लाखों लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में मदद मिलेगी और उन पर लटकी तलवार हमेशा के लिए हट गई।
मिश्रा.श्रवण
वार्ता