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लोकरुचि


धनकुबेरों के हैं कई आशियाने, बहुतों को मयस्सर नहीं एक अदद छत

धनकुबेरों के हैं कई आशियाने, बहुतों को मयस्सर नहीं  एक अदद छत

नयी दिल्ली, 22 जनवरी (वार्ता) इंटरनेट की बेहतर पहुंच और निजी जेट से मिली सुविधा का भरपूर फायदा उठाते हुए दुनिया भर धनकुबेरों ने अलग-अलग महाद्वीपों पर अपने कई-कई आशियाने बना रखे हैं जबकि दूसरी तरफ एक बड़ी आबादी सिर पर एक अदद छत से भी महरूम हैं। शोध फर्म वेल्थ-एक्स की रिपोर्ट के मुताबिक प्राइवेट जेट के बढ़ते इस्तेमाल तथा किसी भी समुद्री तट या स्की लॉज तक तेज गति की इंटरनेट पहुंच से वहां से काम करने में आयी आसानी ने अब अमीरों के लिए पूरी दुनिया के दरवाजे खोल दिये हैं, जहां वे अलग-अलग महाद्वीपों पर अपने कई आशियाने बना सकते हैं । शोध से पता चलता है कि तीन करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति पर काबिज दुनिया भर के कुल 2,12,625 अमीरों में से 10 फीसदी से अधिक के पास उनके मुख्य घर के अलावा कम से पांच और आशियाने हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी घर किसी एक शहर या देश में नहीं बल्कि अलग-अलग महाद्वीपों पर हैं। प्राइवेट जेट के बढ़ते बाजार ने अब अमीरों के लिए सफर को आसान बना दिया है । विकासशील अर्थव्यवस्था और कारोबार के वैश्वीकरण ने प्राइवेट जेट के बाजार को बढ़ा दिया है और इसके साथ ही दूसरे घर की मांग की बढ़ गयी है। दरअसल कारोबार के सिलसिले में अक्सर ऐसे लोगों को दूसरी जगह रहना पड़ता है ऐसे में पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन और बच्चों की शैक्षणिक जरूरतों की पूर्ति के लिए दूसरे घर की जरूरत पड़ती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अब अकूत संपत्ति के मालिकों के बीच ‘ वैश्विक नागरिक ’होने का प्रचलन चल गया है। ऐसे अधिकतर अमीर खुद को जितना अपने देश का नागरिक मानते हैं, उतना ही विश्व का नागरिक मानते हैं । अर्चना.श्रवण जारी वार्ता

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