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विश्व में एक करोड़ से ज्यादा नौकरियां छीन सकता है रोबोट: एसोचैम

विश्व में एक करोड़ से ज्यादा नौकरियां छीन सकता है रोबोट:  एसोचैम

लखनऊ 07 दिसम्बर (वार्ता) वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से हो रहे प्रौद्योगिक विकास की वजह से अगले पांच वर्षों में कृत्रिम इंसान यानी रोबोट एक करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां खत्म होने का सबब बन सकते हैं। एसोसियेटेड चैंबर्स अाफ कामर्स (एसोचैम) की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर जिस तरह की औद्योगिक क्रान्ति हो रही है, उससे स्वचालन, रोबोटिक्स, थ्री डी प्रिंटिंग, कृत्रिम बुद्धि, जीनोमिक्स के रूप में नुकसानदेह प्रौद्योगिकियां भी सामने आ रही हैं। इनकी वजह से बड़ी संख्या में लोग अपनी नौकरी गंवा रहे हैं। देश में ही अगले पांच साल के दौरान करीब दस लाख नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। एसोचैम ने सरकार, उद्योग क्षेत्र तथा प्रबुद्ध वर्ग के बीच एक साझीदारी विकसित करने की फौरी आवश्यकता पर बल दिया है। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने आज यहां बताया कि ‘‘प्रस्तावित साझीदारी के जरिये हमें विशिष्ट क्षमताओं तथा समयानुकूल शिक्षा की उभरती हुई आवश्यकता को पहचानने में मदद मिलेगी। खासकर विकसित देशों से पाठ्यक्रमों की संरचना तैयार करने और उन्हें संचालित करने में सहायता की जरूरत होगी।’’


श्री रावत ने कहा कि ‘‘केन्द्र सरकार को स्वचालन को लेकर एक राष्ट्रीय नीति का स्वरूप तैयार करना चाहिये। इसमें देश के विशेषज्ञों, व्यवसाय जगत, सरकार तथा श्रमिक वर्ग के प्रतिनिधियों की राय को शामिल किया जाना चाहिये। इससे हम इस परिवर्तनकाल को कम से कम तकलीफदेह बनाने के लिये कार्ययोजना और दिशानिर्देश तय कर सकेंगे। साथ ही सम्बन्धित पक्षों को सभी लाभ व्यापक तथा समान रूप से साझा किये जाने का आश्वासन भी दे सकेंगे।’’ उन्होंने कहा ‘‘इससे हमारा देश कम से कम उद्योग, निर्माण, परिवहन तथा वितरण के क्षेत्र में स्वचालन रूपी रोबोटिक्स की अनिवार्यता के लिये संवेदित होगा।’’ अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि ‘‘केन्द्र सरकार को अपनी ध्वजवाही योजना यानी मेक इन इंडिया के लिये रोबोटिक्स को प्रमुख तत्व के रूप में जोड़ना चाहिये और उसे वैश्विक निर्माणकर्ताओं को देश में अत्यन्त कार्यदक्ष तथा स्वचालित आपूर्ति श्रृंखला सुविधाएं स्थापित करने के उद्देश्य से आकर्षित करने के लिये कार्यक्रम तैयार करना चाहिये।’’ भारतीय उद्योग क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पद्धी तथा उद्यमियों के लिये देश को आकर्षक बनाने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आर्थिक विकास को गति देने के उद्देष्य से निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी एक मानी हुई जरूरत है। एसोचैम ने प्रदेश की सरकार को सुझाव दिया है कि वह अपनी क्षमता विकास नीति को इस तरह की बनाए जिससे निजी क्षेत्र को अनुकूल माहौल मिले, बेहतर बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो, औद्योगिक श्रम शक्ति को क्षमता विकास सम्बन्धी प्रशिक्षण मिल सके और पूरे प्रदेश में “ईज़ आॅफ़ डूइंग” बिज़नेस को बढ़ावा मिले।


देश में अनेक वैश्विक आॅटोमोबाइल कम्पनियाें ने अपना बेस तैयार करना शुरू किया है। इसके अलावा अनेक कम्पनियां स्वनिर्मित वाहनाें को दूसरे देशों में निर्यात करने की उम्मीद लगाये हैं। ऐसे में अनेक भारतीय तथा संयुक्त उपक्रम रूपी कम्पोनेंट फर्मों को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों से पार पाने के लिये सघन स्वचालन प्रौद्योगिकी की जरूरत होगी। श्री रावत ने कहा ‘‘हमें ऐसे क्षेत्रों में स्वचालन तकनीक को अनिवार्य रूप से अपनाये जाने की उम्मीद करनी चाहिये जहां रेडियोधर्मी सामग्री और संक्षारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे स्पष्ट है कि स्वास्थ्य के लिये खतरनाक उद्योगों में काम करने वालों के लिये रोबोटिक्स उनकी सुरक्षा में मददगार होता है।” उन्होंने कहा ‘‘ उत्पाद की शेल्फ लाइफ सिकुड़ रही है, इसलिये घरेलू तथा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पद्धा में बने रहने के लिये स्वचालित उत्पादन प्रक्रिया एक अनिवार्यता बन जाएगी।’’ चालकरहित कारें और रेलगाड़ियों का चलन एक संकेत है। वाहनाें के कम ईंधन में ज्यादा दूरी तय करने से ईंधन के इस्तेमाल में कमी आयी है। एसोचैम रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वचालन और रोबोटिक्स का इस्तेमाल मानव श्रमिकों के रोजगार की कीमत पर करने की जरूरत नहीं है। इन दोनों का सह अस्तित्व सम्भव है। भारत के सामाजिक-आर्थिक चिन्तन को रोबोटिक युग के आगमन से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसे इसका स्वागत करने के लिये तैयार रहना चाहिये। चीन समेत सभी विकसित देश अपनी अनेक उत्पादन तथा वितरण प्रक्रियाओं के लिये औद्योगिक तथा अन्य रोबोट एवं स्वचालन के इस्तेमाल की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे अलावा मध्यम आय वाले देश दक्षिण कोरिया ने औद्योगिक रोबोट का इस्तेमाल करके खुद को समृद्ध बनाया है। भंडारी प्रदीप वार्ता

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