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लौह-इस्पात उद्योग में प्लास्टिक कचरे के ईंधन से कोयले की बचत संभव

लौह-इस्पात उद्योग में प्लास्टिक कचरे के ईंधन से कोयले की बचत संभव

नयी दिल्ली, 25 मार्च (वार्ता) लौह और इस्पात उद्योग बड़े पैमाने पर कोक, ब्लास्ट फर्नेस लोहा, इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस इस्पात बनाने की विभिन्न प्रक्रियाओं में प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर सकता है जिससे कोयले की बचत होगी। इस्पात मंत्रालय ने कहा है कि एक किलोग्राम प्लास्टिक का उपयोग लगभग 1.3 किलोग्राम कोयले की जगह ले सकता।

इस्पात मंत्री राम चंद्र सिंह ने शुक्रवार को उद्योग भवन में भारतीय इस्पात अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मिशन (एसआरटीएमआई) द्वारा प्रस्तुत 'लौह और इस्पात उद्योग में प्लास्टिक कचरा उपयोग' शीर्षक रिपोर्ट पर विचार विमर्श के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में प्लास्टिक कचरे का उपयोग लौह और इस्पात उद्योग में बड़े पैमाने पर करने को लेकर चर्चा की गयी।

मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अधिकांश प्लास्टिक-कचरा कोयले की तुलना में उच्च ऊर्जा का स्रोत है और इससे राख एवं क्षारीय पदार्थों के अपशिष्ट की समस्या नहीं पैदा होती| प्लास्टिक कचरे के ऐसे उपयोग से कचरे के कुशल और सुरक्षित निपटान के बड़े राष्ट्रीय मुद्दे को हल करने के अलावा कोयले के आयात पर निर्भरता कम होगी, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन भी घटेगा तथा दक्षता में सुधार होगा।

मंत्रालय ने कहा कि एकल उपयोग वाले प्लास्टिक सहित सभी प्रकार के प्लास्टिक का उपयोग लौह और इस्पात उद्योग में किया जा सकता है। दुनिया भर के कई देश जैसे जापान, यूरोप आदि स्टील बनाने में इस तरह के प्लास्टिक का उपयोग काफी समय से कर रहे हैं।

देश में हर साल लगभग 1.8 करोड़ टन प्लास्टिक की खपत हो रही है। अनुमान है कि एक किलोग्राम प्लास्टिक कचरे का ईंधन के रूप में उपयोग करने से लगभग 1.3 किलोग्राम कोयला की जरूरत कम होगी। विज्ञप्ति के अनुसार लौह एवं इस्पात उद्योग अपनी वर्तमान क्षमता के आधार पर हर साल लगभग 20-30 लाख टन प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल कर सकता है। 2030-31 तक इस उद्योग की क्षमता बढ़ने के साथ साथ 80 लाख टन प्लास्टिक कचरे की खपत की जा सकेगी| इससे लोहा और इस्पात उद्योग प्लास्टिक कचरे का प्रमुख उपयोगकर्ता हो सकता है।

इस्पात मंत्री ने मामले को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ उठाने का निर्देश दिया ताकि इस्पात क्षेत्र को भी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत अंतिम उपयोगकर्ता के रूप में शामिल किया जा सके।

अभिषेक , मनोहर

वार्ता

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