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देश के जांबाज जवान पूरे साल आतंकवादी हमलों से जूझते रहें

देश के जांबाज जवान पूरे साल आतंकवादी हमलों से जूझते रहें

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (वार्ता ) मातृभूमि की रक्षा के लिए सीमा पर मर मिटने वाले देश के जांबाज जवान इस साल आतंकवादी हमलों से जूझते रहें तथा बड़ी संख्या में जवानों ने शहादत भी देकर इन हमलों काे नाकाम किया और अंत में भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकवाद को बढावा देने वाले पड़ोसी देश काे मुंहतोड़ जवाब दिया। आतंकवाद की धुरी पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने के लिए सरकार ने कूटनीतिक मुहिम भी चलाई। इन हमलों के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता पटरी से उतर गयी और दक्षेस सम्मेलन भी दोनों की आपसी कड़वाहट की भेंट चढ गया। इस बार अधिकांश हमले सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर किये गये। साल की शुरूआत ही पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमले से हुई और पूरे वर्ष उरी,नगरोटा, पुंछ और पम्पोर जैसी कई आतंकवादी घटनाएं हुई जिसमें हमारे जवानों ने शहादत देकर इन हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम किया और आतंकवादियों को मार गिराया । इन हमलों में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गये और राष्ट्रीय सुरक्षा गारद के 20 जवानों समेत 61 घायल हो गये जबकि 20 आतंकवादियों को ढेर किया गया।


         उत्तरी कमान के अति सुरक्षित पंजाब स्थित पठानकोट एयरबेस पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने हमला कर दिया। इस हमले को नाकाम करने के लिए सबसे लंबी दो से पांच जनवरी तक कार्रवाई चली । सेना का साजोसामान नष्ट करने के मकसद से हुए इस हमले में छह आतंकवादियों को ढेर किया गया। एयरबेस को बचाने की कोशिश में राष्ट्रीय सुरक्षा गारद का एक जवान और एक कमांडों समेत सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये जबकि एनएसजी के 20 जवान घायल हो गये। इस हमले से निपटने के तौर -तरीकों में विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी भी मीडिया की सुर्खियां बनीं । यह वर्ष पिछले दो दशकों में सुरक्षा बलों पर सबसे भयावह उरी हमले का भी गवाह बना। जम्मू-कश्मीर के इस सेक्टर में 18 सितंबर को सेना के ब्रिगेड मुख्यालय में आतंकवादियों ने ग्रेनेड से हमला किया । इससे जवानों के तंबुओं में आग लगने से 19 जवान शहीद हो गये जबकि करीब 20 घायल हो गये । हमला तड़के उस समय किया गया जब तैनाती के लिए छह बिहार रेजीमेंट के जवान 10 डोगरा रेजीमेंट का स्थान लेने वाले थे। हमले के बाद मुठभेड़ में चार आतंकवादी मारे गये । इस कायराना हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इसकी चौतरफा निंदा हुई । पठानकोट और उरी हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का नाम सामने आया । हमले के 11 दिन बाद भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक करके उरी के शहीदों का बदला लिया । इस तरह की स्ट्राइक को पहली बार सरकार ने सार्वजनिक भी किया । इस हमले के बाद पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए भारत ने इस्लामाबाद में होने वाले दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया। बाद में अफगानिस्तान , बंगलादेश और भूटान ने भी इसमें शिरकत नहीं की । भारत ने सिंधु नदी जल समझौते तथा पाकिस्तान को दिये गये सर्वाधिक तरजीही देश के दर्जे की समीक्षा का भी ऐलान कर दिया।


                          भारत के कड़े तेवर के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। नवंबर में नगरोटा स्थित अति सुरक्षित सेना की 16वीं कोर के मुख्यालय पर फिर आतंकवादी हमला हुआ। इसमें दो अधिकारी समेत सात जवान शहीद हो गये जबकि तीन आतंकवादी मारे गये। उरी के बाद यह सबसे बडा हमला था । इससे पहले जून में आतंकवादियों ने पम्पोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया जिसमें आठ जवान शहीद हो गये तथा 20 घायल हो गये। इस दौरान मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गये। सितंबर में नियंत्रण रेखा से लगे पुंछ जिले में सेना के ब्रिगेड मुख्यालय के पास हमला हुआ। पठानकोट हमले के बाद यहां सबसे लंबी तकरीबन तीन दिन तक चली मुठभेड़ में निर्माणाधीन मिनी सचिवालय की इमारत मे छिपे चार आतंकवादियों को ढेर किया गया। जुलाई में ऊधमपुर में जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर राज्य परिवहन निगम की बस में और अक्टूबर में बारामूला तथा हंदवाड़ा में राष्ट्रीय रायफल्स के शिविरों पर भी आतंकवादी हमला हुआ 1 असम के कोकराझार के पास एक बाजार में अगस्त में उग्रवादियों की अंधाधुंध फायरिंग में 14 लोगों की मौत हाे गयी जबकि 15 अन्य घायल हो गये। इसके बाद पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक उग्रवादी मारा गया। मणिपुर में भी कई उग्रवादी वारदात हुई।

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