नयी दिल्ली 06 नवंबर (वार्ता) नकदी की कमी और बाजार की विफलता के कारण देश के विभिन्न शहरों में अटकी पड़ी 1600 से अधिक आवासीय परियोजनाओं का काम पूरा करने के लिए सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये की आरंभिक राशि के साथ एक वैकल्पिक निवेश कोष बनाने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि इन परियोजनाओं में 4.58 लाख मकान अटके पड़े हैं। इन मकानों का निर्माण पूरा करने के लिए विशेष प्रावधान के तहत एक वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के गठन का फैसला किया है। आरंभ में केंद्र सरकार अपनी ओर से इसमें 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी तथा 15 हजार करोड़ रुपए की राशि भारतीय स्टेट बैंक और भारतीय जीवन बीमा निगम से उपलब्ध करायी जाएगी।
उन्होंने बताया कि परियोजनाएं पूरी करने के लिए एक एस्क्र्यू एकाउंट बनाकर राशि उसमें डाली जायेगी और जैसे-जैसे बिल्डर निर्माण कार्य पूरा करेगा चरणबद्ध तरीके से उसे पैसा दिया जायेगा। उसे काम पूरा करने तक के लिए पैसा दिया जायेगा। बिल्डर इस पैसे का उपयोग सिर्फ और सिर्फ परियोजना का अधूरा काम पूरा करने के लिए ही कर सकेगा। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी एसबीआई कैप को दी गयी है।
वित्त मंत्री ने बताया कि मुंबई क्षेत्र में दो करोड़ रुपये तक के मकानों, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे शहरों में डेढ़ करोड़ रुपये तथा अन्य शहरों में एक करोड़ रुपये तक के मकानों के निर्माण के लिए इस बिल्डर इस विशेष प्रावधान का लाभ उठा सकेंगे। जिन परियोजनाओं में कम काम बाकी है और उन्हें जल्दी पूरा किया जा सकते है उन्हें प्राथमिकता के आधार पर पैसा जारी किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि जो परियोजनाएं गैर-निष्पादित परिसंपत्ति घोषित हो चुकी हैं या राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के पास लंबित हैं, लेकिन अभी दिवालिया घोषित नहीं हुई हैं, वे भी इससे लाभांवित हो सकती हैं। एक मात्र शर्त यह होगी परियोजना के अधूरे काम का नेटवर्थ धनात्मक हो यानी उससे प्राप्त होने वाला रिटर्न उसे पूरा करने पर आने वाली लगात से अधिक हो।
श्रीमती सीतारमण ने बताया कि इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और जीवन बीमा निगम से भी वह बात कर चुकी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 25 हजार करोड़ रुपये का यह निवेश आरंभिक होगा तथा जरूरत पड़ने पर और निवेश किया जायेगा। राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा निवेश कोष (एनआईआईएफ) तथा कुछ अन्य सरकारी कोषों और पेंशन कोषों ने भी इस योजना में निवेश की इच्छा जताई है। सरकार का उद्देश्य इन सभी अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करना है। ये सभी रेरा से पंजीकृत परियोजनाएं हैं।
अजीत आशा
वार्ता