पार्लियामेंटPosted at: Dec 12 2018 5:58PM समिति ने संघर्ष और टकराव के क्षेत्रों में कर्मियों की लंबे समय तक तैनाती पर भी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इससे जवान अवसाद, मानसिक और भावनात्मक तनाव का शिकार हो रहे हैं। समिति ने सरकार से कहा है कि वह सुरक्षाकर्मियों के जीवन में खुशी लाने और उन्हें प्रसन्नचित्त रखने के लिए सप्ताह में एक बार उनकी अपने परिजनों से बात करने के लिए वीडियो कांफ्रेन्सिंग की व्यवस्था करे। इसके साथ ही उनके कैंपों में डीटीएच कनेक्शन तथा इंडोर और अाउटडोर खेलों की भी सुविधा की जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जवानों की काउंसलिंग वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाती है और ज्यादातर मामलों में वे वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी समस्या नहीं बता पाते इसलिए उनकी काउंसलिंग के लिए पेशेवर परामर्शदाता और मनोचिकित्सक भेजे जाने चाहिए। समिति ने इस बात पर भी हैरानी व्यक्त की है कि बल में उप महानिरीक्षक के 19 में से 17 पद खाली पड़े हैं। उसने कहा है कि यह बल के कामकाज में गंभीर कमी को बताता है। समिति ने कहा है कि जब भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सीआरपीएफ में तैनाती के लिए आगे नहीं आते तो उनके लिए प्रतिनियुक्ति कोटा में 37 पद आरक्षित करने का क्या औचित्य है। इससे बड़ी संख्या में पद खाली रह जाते हैं। समिति ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बहुत प्रतिकूल परिस्थितियों में तैनात सुरक्षाकर्मियों को भोजन संबंधी जरूरतों के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। उन्हें अपने भोजन के कच्चे माल के लिए स्थानीय हाट और ठेकेदारों पर निर्भर रहना पड़ता है। समिति ने कहा है कि सरकार को गुणावत्तापूर्ण खाद्य सामग्री की नियमित आपूर्ति के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। संजीव, यामिनी वार्ता