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अमित शाह ने मौज गिरि मंदिर के निकट यमुना के तट पर विशाल त्रिशूल का किया पूजन

अमित शाह ने मौज गिरि मंदिर के निकट यमुना के तट पर विशाल त्रिशूल का किया पूजन

कुम्भनगर,13 फरवरी (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने जूना अखाड़ा के मौज गिरि मंदिर के यमुना तट पर स्थापित 151 फीट ऊंचे त्रिशूल का विधि विधान से पूजन किया।

कुम्भ मेले में पहली बार यहां पहुंचे श्री शाह ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गंगा, यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप सरस्वती के संगम में स्नान किया। उनके साथ भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और महामंत्री हरि गिरि, जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवदेशानंद गिरि, श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत धर्मदास महराज,योग गुरू स्वामी रामदेव, परमार्थ निकेतन के मुनि चिदानंद और कई अखाड़ों के साधु संतों ने भी संगम में स्नान किया।

अपने निर्धारित कार्यक्रमों के बाद श्री शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जूना अखाडा के मौज गिरी मंदिर पहुंचे। श्री शाह ने मौज गिरी मंदिर के यमुना तट पर स्थापित 151 फीट ऊंचे त्रिशूल का पूजन किया। इस दौरान सभी 13 अखाडों के प्रतिनिधी उपस्थित थे।

जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने बताया कि देश के इस सबसे ऊंचे त्रिशूल का वजन करीब 40 टन है। इसकी कुल लम्बाई करीब 200 फीट है जिसमें 151 फीट सतह से ऊपर है। स्टैंडर्ड स्टील से बने विशाल त्रिशूल को खड़ा करने के लिए 80 फीट नीचे तक मजबूत फांउडेशन बनाकर स्थापित किया गया है।

उन्होंने बताया कि जूना अखाड़ा कुंभ क्षेत्र नासिक और उज्जैन के त्रयंबकेश्वर में भी ऐसा त्रिशूल लगवा चुका है।

महंत हरि गिरि ने बताया कि त्रिशूल सनातन धर्म का आधार है। भगवान शिव का शस्त्र होने के साथ यह त्याग, समर्पण, भक्ति और वैराग्य का संदेश देता है। शिव पुराण में उसकी महिमा बखानी गई है। उन्हाेने बताया कि जूना अखाड़ा कुंभनगरी में त्रिशूल लगाकर सनातन धर्म के वैभव को बढ़ाना चाहता है, जिसके लिए यह प्रयास किया गया है। अमित शाह राजनेता के नाते नहीं, सनातन धर्म साधक के रूप में त्रिशूल का पूजन किया।

गौरतलब है कि अमित शाह पिछले साल 27 जुलाई को प्रयाग आने पर सबसे पहले मौज गिरि मंदिर गए थे। तब उन्होंने भृगु ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग का अभिषेक किया था। फिर मंदिर के पास यमुना तट पर पक्का घाट और योगालय भवन बनाने के लिए भूमि पूजन किया था।

दिनेश त्यागी

वार्ता

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